साइंसदानों ने पता लगाया है ,कैसे एच आई वी -एड्स वायरस एपिथेलियल सेल्स को पार कर महिलाओं के 'रिप्रोदाक्तिव ट्रेक्ट '(प्रजनन मार्ग )को संक्रमित कर डालता है .दरअसल एड्स विषाणु एपिथेलियल सेल्स के 'इलेक्ट्रिकल बेरियर रेजिस्टेंस 'को कम कर देता है .बस इसका प्रवेश सुगम हो जाता है ।
एच आई वी -एड्स विषाणु महिलाओं के अंतड़ी मार्ग और प्रजनन मार्गों के संरक्षी कवच 'प्रोटेक्टिव म्युकोसल बेरियर 'को तोड़ कर विषाणु के प्रवेश को आसान बाना देता है .बस मैथुन (इंटर -कोर्स )के दौरान वायरस एपिथेलियल सेल्स में सेंध लगाने में काम- याब हो जाता है .
एच आई वी के प्रवेशित होने पर एपिथेलियल सेल्स इन्फ्लेमेत्री अनुक्रिया करतीं हैं .इसी के कारण एपिथेलियल सेल्स के टाईट जंक- सन्स टूट जातें हैं .ऐसे में कोशिकाएं खुद बा खुद टूटने लगतीं हैं और यह खतरनाक विषाणु शरीर में दाखिल हो जाता है .
दुनिया भर में कुल ४ करोड़ संक्रमित व्यक्तियों में आधी महिलायें हैं .विषम लिंगियों (हेत्रो -सेक्स्युअल्स )में महिलायें ही मैथुन के दौरान ज्यादा संक्रमित हो रहीं हैं .ऐसी महिलाओं की तादाद लगातार बढ़ रही है ।
सन्दर्भ सामिग्री :क्रेक्द :हाउ एड्स वायरस इन्फेक्ट्स वोमेन (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल १० ,२०१० )
शनिवार, 10 अप्रैल 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें