अकसरगुना और सुना है ,भोजन और भजन एकांत में ,खाना धीरे धीरे छोटे छोटे ग्रास औरभली भाँती चबाकर ही खाइए ।
अब एक नवीन अध्धय्यन के मुताबिक़ इस सीख को उठाकर ताख पर रख दीजिये .बड़े बड़े ग्रास कम चबाकर खाइए .बेशक चर्वण से पाचन सुगम बनता है ।
केंटरबरी यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने पता लगा या है ,बड़े ग्रास उदर में देर तक बने रहतें हैं ,पेट भरने का एहसास अपेक्षाकृत जल्दी होने लगता है .ज़ाहिर है मेटा- बोलीक रेट्स कमतर हो जाती है .रेट ऑफ़ बर्निंग केलोरीज़ घट जाती है ।
भूख एक बार भर पेट खालेने के बाद अपेक्षाकृत देर से लगेगी .रेट ऑफ़ एनर्जी रिलीज़ कम हो जाता है ।
बेशक खाना चबाने में कितना वक्त लगेगा यह खाद्य की प्रकृति से भी तय होगा .परन्तु कम चबाने वाले खाद्य तैयार किये जा सकतें हैं ।
अध्धय्यन के दौरान होल ग्रेन फूड्स के लाभ सामने आये .पता चला 'होल -ओत मुईसली ,होल ग्रेन ब्रेड से अपेक्षाकृत थोड़ा खाने से भी तृप्ति मिल जाती है .ईट सेतियेट्स दी एपेताईट फास्टर ।
पास्ता (इतालवी राष्ट्रीय भोजन )से ऊर्जा धीरे धीरे रिसती है (स्लो रिलीज़ ऑफ़ एनर्जी )।
' एस्पायर फॉर लाइफ 'उस डा -ईट प्रोग्रेम का नाम है जिसे ओटागो यूनिवर्सिटी में आजमाया जा चुका है .नैदानिक परीक्षण किये जा चुके हैं इस खुराख के जो ओं लाइन उपलब्ध है .
सन्दर्भ सामिग्री :च्यु लेस ,टेक बिग बाइट्स तू एवोइड गेनिंग वेट (टाइम्स सोफ़ इंडिया ,अप्रैल १७ ,२०१० )
एस्पायर फॉर लाइफ '
रविवार, 18 अप्रैल 2010
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1 टिप्पणी:
jaankaari achhee hai
aazmaana hogaa . . .
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