होन्ग कोंग विश्व -विद्यालय के सूक्ष्म -जैव -विदों (माइक्रो -बाय्लोजिस्त ) की माने तो इस दौर में एक्यु -पंचर चुपके चुपके हिपे -ताई -तिस -बी ,सी के अलावा एच आई वी -एड्स संक्रमण की भी वजह बन रहा है .कारण है ,अध्धय्यन के मुखिया प्रोफ़ेसर पत्रिक वू कहतें हैं ,लम्बी लम्बी सुइंयाँ जो चमड़ी के नीचे कई सेंटीमीटर तक प्रवेश पा जातीं हैं .नतीज़ा है -एक्यु -पंचर -माइको -बेक्तीरियोसिस सिंड्रोम ।आप सूक्ष्म जीव -विज्ञान विभाग से सम्बद्ध है .
अब तक आलमी स्तर पर (ग्लोबली ) ५० से भी ज्यादा मामले प्रकाश में आये हैं .कितने और ऐसे मामले होंगें सहज अनुमेय है क्योंकि ज्यादार मामले प्रकाश में आते ही कहाँ हैं ।
जीवाणु कई तरीकों से संक्रमण की वजह बन रहें हैं .एक बड़ी वजह मरीज़ का खुद का "स्किन -फ्लोरा /इनवायरनमेंट "बन रहा है क्योंकि पर्याप्त नहीं रहता है त्वचा को वि -संक्रमित करना .विसंक्रमण पूरी तरह हो ही नहीं पाता है इसी के चलते जीवाणु नीडिल से चस्पां (चिपके )रह जातें हैं .अलावा इसके (कन्तामिनेतिद नीदिल्स के अलावा )कोटन स्वाब्स और हॉट पेक्स भी संक्रमण को एक मरीज़ से दुसरे तक पहुंचाने में मदद गार साबित होतें हैं ।
तो ज़नाब एक्यु -पंचर के अपने खतरें हैं .दुनिया भर के सूक्ष्म -जीव-विज्ञानी यही चेतावनी प्रसारित कर रहें हैं .
शनिवार, 20 मार्च 2010
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1 टिप्पणी:
ज़नाब आपने पोस्ट में एक्यु -पंचरके बारे में जिक्र किया है और पोस्ट के शीर्षक में एक्यु -प्रेशर लिखा है कृपया शीर्षक ठीक करलें
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