इस दौर में "पयोधर "अतिरिक्त रूप से विकसित हो रहें हैं ,पीन -स्तनी हो रहीं हैं युवतियां ,वक्ष प्रदेश फ़ैल रहा है तो इसका कारण महज़ उनका मुटियाना भर नहीं है .३०० ब्रितानी युवतियों का ४ बरस तक निरिक्षण करने के बाद पता चला है वक्ष स्थल सृष्टि की तरह बढ़ -फ़ैल रहा है और यह बात सिर्फ उन पर ही लागू नहीं होती जो महिलायें अतिरिक्त रूप से चर्बी चढ़ाए बैठी हैं ,पतली दुबली ,कामिनी ,छरहरी युवतियोंतन्वंगियों में भी स्तनों का आकार लगातार बढ़ रहा है .यह कहना है ,जोंना स्कुर्र का .आप पोरत्स्माउथ विश्व -विद्यालय में जैव्यान्त्रिकी विभाग (बायो -मिकेनिक्स डिपार्टमेंट )में व्याख्याता हैं ।
साइंसदान इस बात का पता लगा रहें हैं ,क्यों एकाएक बड़े आकार वाली चोलियों (ब्रेज़ियार्स /बिक्नीज़ )की मांग में उछाल आ रहा है ।
बेशक कुछ की राय में ऐसा वेस्ट लाइन (कटी प्रदेश के विस्तार )के विस्तार के अनुरूप ही हो रहा है .कुछ और साइंस दान इसके पीछे खाद्य -श्रृंखला में कृषि कर्म खेती किसानी में स्तेमाल होने वाले नाशी जीव -नाशियों (पेस्ट -इसैड्स )का प्रछन्न हाथ देख रहें हैं .तरह तरह के प्लास्टिक्स भी फ़ूड चैन में जगह बना रहें हैं ।
कुछ और विज्ञानी इसके पीछे किसी अज्ञात कारण को देख समझ रहें हैं ।
जो हो ब्रिटेन में सुपर साइज़ ब्राज़ का बाज़ार फ़ैल पनप रहा है ।
कुछ विज्ञानी पयोधरों के बड़े होते रूपाकार के पीछे मानव निर्मित रसायनों को ही कुसूरवार मान रहें हैं .यही रसायन स्त्री -योचित हारमोन "ईस्त्रोज़ंन "के साथ छेड़ छाड़ कर रहें हैं ?
एग्रीकल्चर पेस्तीसैड्स और प्लास्टिक्स हमारी फ़ूड चैन में निर्विवाद तौर पर पैठ गए हैं .हारमोन सम्बन्धी विकाश के साथ यह छेड़छाड़ करतें हैं इस बात से इनकार करना मुश्किल होगा ।
यौवन की देहलीज़ पर पाँव रखते ही ईस्त्रोज़ंन की भूमिका आरम्भ हो जाती है .स्तन ऊतकों को यही हारमोन एडलगाता है .ऐसे में इसकी अतिरिक्त मात्रा कुछ ना कुछ गुल तो खिलाएगी ही .पयोधर (स्तन )विकास भी इसकी जद में आने से नहीं बच सकते .खतरा यही है ,अगर स्तन कोशिकाएं म्युतेत होने लगें (उत्परिवर्तित होने लगें )तब क्या होगा ?यह कहना है ,पोषण -विज्ञानी मरिलिन ग्लेंविल्ले का .कुछ ना कुछ इस दिशा में किया जाना चाहिए ।
सन्दर्भ सामिग्री :वोमेन गेटिंग बस्तिअर ,पेस्तीसैड्स रोल अंदर लेंस (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ).
सोमवार, 29 मार्च 2010
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