निश्चय ही एक तस्वीर हज़ारों हज़ार शब्दों से गहरा असर छोडती है .दृश्य बिम्ब हमारी चेतना को झ्क्झोरतें हैं .आगामी एक जून से अब सिगरेट के पेकितों पर ऐसी ही भयाप्रद तस्वीर्नुमा चेतावनियाँ दिखलाई देंगी .भारत जैसे अपढ़ देश में इसका व्यापक असर पड़ सकता है बीडी सिगरेट पीने वाले के दिलोदिमाग पर जहां तकरीबन २२०० लोग रोजाना तम्बाखू से होने वाली बीमारियों का निवाला बन जातें हैं असमय ही इनकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है .तकरीबन २५ करोड़ लोग मेरे भारत में सिगरेट बीडी गुटखा ,पान मासाला (तमाबाकू युक्त )का स्तेमाल करतें हैं .इनमे से तकरीबन १६ फीसद लोग सिगरेट ,४४ फीसद बीडी पीतें हैं स्वास्थ्य सम्बन्धी ४० फीसद समस्याओं की जड़ तम्बाखू बना हुआ है ।
वंस ए स्मोकर आलवेज़ ए स्मोकर ?नहीं साहिब तकरीबन २ फीसद लोग बीडी सिगरेट पीना छोड़ भी देतें हैं .अपन भी उनमे से एक हैं अलबत्ता भारी कीमत चुकाई है हमने इस आदत की .हमने बीडी सिगरेट पी .निकोटिन हमारे गम और मुक्तावली (दन्तावली )ले उडी .जी हाँ ."यु स्मोक दा निकोटिन ,निकोटिन स्मोक अवे यूओर गम्स ."यु केंन स्मोक एज लॉन्ग एज यु डोंट एक्सहेल ।हमारी तो ज़नाब ओपन हार्ट सर्जरी भी हो चुकी है .बीडी सिगरेट पीने वालों की बात ही कुछ और है ,छोडिये हमें हमारे हाल .हम तो पढ़े लिखे हैं .गुने नहीं बन सके .फादर साहिब कहते थे -"पढ़े लिखे से गुनी ज्यादा अच्छा है '.हम सिर्फ पढ़े लिखे हैं .
भारत में सिगरेटबीडी के हाथों शहीद होने वालों में ५०फ़ीसद हमारे अपढ़ भाई हैं .इनका ८० फीसद हिस्सा ग्रामीण है .(सिगरेट माता ग्राम वासिनी )हो सकता है तस्वीरें इन्हें डराए ,खोफ पैदा करें इनके दिलो -दिमाग पर .
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
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