विद्युत् चुम्बकीय तरंगें परिवर्तन शील विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्रों की सियामीज़ (जुडवा बहिने है ) हैं .
निर्पदार्थ और खुले अंतरीक्ष (एम्प्टी स्पेस ) के असीम विस्तार में विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का ही डेरा है .वैसे जिसे हम निर्वात या वेक्यूम कहते समझते हैं वहां भी अंतरीक्ष के एक घनमीटर भाग में कमसे कम एक हाइड्रोजन परमाणु मौजूद है .असीम ऊर्जा का यही समुन्दर "स्केलर एनर्जी "/"अदिश ऊर्जा कहलाता है .यह तरंगें लान्जित्युदिनल हैं (अनु -दैर्घ्य तरंगें हैं ,तरंग का कम्पायमान भाग और तरंग की गति एक ही दिशा लिए रहती है .जबकि त्रेंस्वर्ज़ इलेक्त्रोमेग्नेतिक वेव्स में तरंग गति की दिशा के लम्ब वत कम्पन करती है .यानी विद्युत् क्षेत्र का दोलन ,चुम्बकीय क्षेत्र का दोलन और तरंग की गति दिशाएँ परस्पर लम्बवत बनी रहतीं हैं ।
स्केलर एनर्जी की घोषणा पहले पहल ई .बेअर्दें ने की थी .विज्ञान जगत में इस अवधारणा का कोई ख़ास स्वागत नहीं हुआ ।
स्केलर पेंदंत (दिश झुमका )एक चिकित्सा उपकरण एक चिकित्सा प्रविधि हैचिकित्सा झुमका है .इसे "ची -थेरिपी -पेंदंत ",हीत थेरिपी पेंदंत भी कहा जाता है ।
यह अवरक्त ऊर्जा का उत्सर्जन करता है (फार इन्फ्रा रेड रीज़न में )साथ में ऊच्तर मात्रा में निगेटिव आयंस भी छोड़ता है .यही निगेटिव आयंस इस चिकित्सा झुमके की कुंजी हैं जिनका मानवीय स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है .यूँ निगेटिव आयंस ओपन एयर में हवा के अनन्यअणुओं से चस्पां होकर खो जातें हैं अपना निगेटिव चार्ज खो देतें हैं लेकिन इनका कुछ ना कुछ अंश झुमके को स्पर्श करने वाले शरीर अंग में चला ही जाता है .यह सेल फोन्ससे और इतर इलेक्त्रोमेग्नेतिक फील्डसे जो हमारे परिवेश में इलेक्ट्रिक गेजेट्स से पसरा हुआ है के दुष्प्रभावों को उदासीन कर देता है .इस प्रकार खतरनाक विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र से हिफाज़त करता है स्केलर पेंदंत .
रविवार, 14 मार्च 2010
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