क्या आप एक लिविंग वेक्स्सिनेतर की कल्पना कर सकतें हैं वह भी मच्छर के रूप में जो आपको काटे और उसका काटना टीके (वेक्सीन )की तरह मुफीद साबित हो .ऐसे ही फ़्लाइंग वेक्सीनेटर को तैयार किया है पार्जातीय नस्ल के रूप में अनोफलीज़ की (त्रेंस्जेनिक स्ट्रेंन ऑफ़ अनोफेलेस स्तेफेंसी मोस्कीतोज़ के रूप में )रिसर्चों की एक टीम ने जिसका नेत्रिर्त्व कर रहें हैं "जिची मेडिकल यूनिवर्सिटी, जापान" के साइंसदान ।
जादू इस त्रेंजेनिक वैरायटी की लार यानी सेलाइवा में है जिसमे एंटीजन मौजूद है .लेइश्मनिअ वेक्स्सीन मौजूद है .इस मच्छर के द्वारा काटे जाने का मतलब है "टीकाकरण /इम्युनाइज़ेशन ।
साइंसदान योशिदा की टीम ने इस पार जातीय मच्छर की लार में लेइस्मनिअ वेक्स्सीन का पता लगाया है ।
इसके बार बार काटने के बाद शरीर में एन्तिबोदीज़ का स्तर बढ़ जाता है .जिसका मतलब हुआ कामयाब टीकाकरण और वह भी लेइस्मनिअ वेक्स्सीन से ।
इस अध्धय्यन के नतीजे "बायलोजी एंड नेचर" जर्नल में प्रकाशित हुए हैं .अलबत्ता अभी इसकी उड़ान के रास्तें में नीतिगत (मेडिकल एथिक्स )और रेग्युलेटरी (विनियमन सम्बन्धी )समस्याएं हैं .योशिदा कहतें हैं ,बेशक एक आदमी के बरक्स दुसरे को उससे कम या फिर ज्यादा बार मच्छर बाईट से दो -चार होना पड़ता है .ज़ाहिर है जिन लोगों को यह पार्जातीय मच्छर काटेगा उनके लिए टीके की डोज़ अलग होगी औरों की बनिस्पत .जो हो एक फ़्लाइंग वेक्सीनेटर की कल्पना बरसों से की जा रही थी .जादू इसकी लार में से ही निकलना था .
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