आजकल आप व्यावसायिक विज्ञापनों को एक सम्पूर्ण भेंट -वार्ता या फिर दोक्युमेंतरी के रूप में देखतें हैं .ज़रूरी नहीं है इसमें जो कुछ भी परोसा जा रहा है वह सही हो यह एक विशुद्ध विज्ञापन गिमिक ,विज्ञापन स्टंट भी हो सकता है .सिक्स -पेक एब्स बेक -ने वाले व्यावसायिक विज्ञापन इसी केटेगरी (वर्ग )के होतें हैं ।
भला सिर्फ सिर्फ शरीर के एक हिस्से के व्यायाम से जैसे सिर्फ "मिड -रीफ "शरीर का सीने और कटि-प्रदेश (वेस्ट )वाले हिस्से की कसरत से क्या चर्बी छंट -तीहै ?
आइये देखें क्या कहतें हैं स्पोर्ट्स मेडिसन के माहिर इस बाबत .बकौल अमरीकन कोलिज ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसन के माहिर हेनरी विल्फोर्ड ,यह तमाम दावे ना तो प्रामाणिक होतें हैं ना रिसर्च का नतीज़ा ,किसी एक ख़ास व्यक्ति ने कह दिया और आपने मान लिया ।नॉन प्रोफिट अमरीकन कोंसिल ऑफ़ एक्स्सर -साइज़ के जेसिका मेथ्यु कहतें हैं शरीर के किसी एक हिस्से को लक्षित (टार्गेट )करने का कोई अर्थनहीं होता है ।
एक वेळ -राउंन -दीदप्रोग्रेम में कार्डियो -वेस्क्युलर वर्क (हृद -वाहिकीय कसरत ) के अलावा सभी मुख्य (मेजर मसिल्स )पेशियों की कसरत ज़रूरी है .सिर्फ अब्दोमिनल मसिल्स की कसरतों से कुछ होना जाना नहीं है .जितना ज्यादा हमारा "मसिल मॉस "होगा उतना ही हमारा शरीर सुचारू रूप से काम करेगा .इससे पहले चर्बी उतरती नहीं है .(यह भी तो देखिये आपके कुल "बॉडी -मॉस "में मसिल मॉस कितना है ,बॉडी मॉस इंडेक्स देखना ना काफी है ।
अक्सर मायावी विज्ञापन और दर्शित चेहरे दस मिनिट ,बस दस मिनिट कसरत की बात करतें हैं और एक गेजेट्स आपको चेप देतें हैं ,करिश्माई गेजेट ?
ये लोग सिर्फ दस मिनिट व्यायाम नहीं करतें हैं ।व्यायाम की अवधि कहीं ज्यादा होती है .
एब्डोमिनल मसिल बनाने के लिए (काल डेम एब्स )"एक्स्सर -साइज़ गेजेट खरीदना ज़रूरी नहीं है ,क्रंच ही काफी है .एब्डोमिनल रोलर्स और रोकर्स आज माइशों में खरे नहीं उतरे हैं ।
क्रंच के मानी है कमर के बल लेट कर अपने कन्धों और सिर ज़मीं से बेदखल करने के लिए धीरे धीरे उठाना ताकि आप की उदर -पेशियाँ (एब्डोमिनल मसिल्स )मज़बूत बनें .आगे आपकी मर्ज़ी ।
सन्दर्भ सामिग्री :"टीवी गेजेट्स फॉर सिक्स -पेक एब्स आर जस्ट गिमिक्स "(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च ३० ,२०१० )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें