एक ताज़ा अध्धय्यन से स्पष्ट हुआ है ,हाई -केलोरीफ़ूड (जंक फ़ूड ) की कोकीन और निकोटिन जैसे लती पदार्थों की तरह ही लत पड़ जाती है .नतीज़ा होता है पहले कम्पल्सिव ईटिंग फिर मोटापा (ओबेसिटी )।
नेचर न्यूरोसाइंस विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित इस अध्धय्यन में यद्यपि यह साफ़ तौर पर बतलाया गया है ,उक्त तथ्य अभी एनीमल स्टडीज़ से ही सामने आया है जिसे सीधे सीधे मनुष्यों पर लागू नहीं किया जा सकता तथापि इससे मोटापे के बेहतर प्रबंधन और इलाज़ में मदद ज़रूर मिल सकती है ।
अध्धययन में चूहों को हाई -केलोरी फ़ूड देने पर पताचला ,दिमागमें एडिक्शन जैसी ही अनुक्रिया पैदा होने लगती है और देखते ही देखते चूहे ओब्सेसिव ईटिंग करने लगतें हैं .उन्हें यह पता ही नहीं रहता कितना खाना है और कब तक खाना है ,इसे ही ओब्सेसिव ईटिंग कहतें हैं ।
इतना ही नहीं इन चूहों में एक ख़ास डोपामिन रिसेप्टर का स्तर घट गया .यही न्युरोत्रेंस्मितर रिसेप्टर ओवरवेट चूहों में इनाम पाने की इच्छा (ए फीलिंग ऑफ़ रिवार्ड ) पैदा कर देता है .ऐसी ही इच्छा उन लोगों में दिखलाई देने लगती है जिन्हें किसी दवा की लत पड़ जाती है ,हूकिंग हो जाती है जिनकी किसी ड्रग से ।
वास्तव में मोटापा एक तरह की कम्पल्सिव ईटिंग ही है (जब तक आप ओवर ईट नहीं करते आप को चैन ही नहीं आता ).ड्रग एडिक्शन भी एक प्रकार है "कम्पल्सन" का.स्क्रिप्स रिसर्च इन्स्तित्युत फ्लोरिडा के साइंस दान इसे एक नए तरह के इलाज़ की खोज में सहायक मान रहें हैं .यानी इलाज़ कम्पल्सन का करो ,मोटापा छट जाएगा ।
जंक फ़ूड रेट्स को कंट्रोल ग्रुप के बरक्स दोगुना केलोरीज़ हजम करते देखा गया .जबकि कंट्रोल ग्रुप के चूहों को संतुलित खुराख ही दी गई थी ।
अब जब जंक फ़ूड के स्थान पर जंक फ़ूड रेट्स को पौष्टिक खुराख दी गई (जिसे साइंसदान सलाद बार ऑप्शन कहतें हैं )तब इन्होने इसे खाने से साफ़ इनकार कर दिया .जंक फ़ूड की लत जो पड़ चुकी थी ।
सन्दर्भ सामिग्री :हूक्द :जंक फ़ूड इज एज एडिक्टिव एज कोकीन (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च ३०,२०१० )
मंगलवार, 30 मार्च 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें