मंगलवार, 2 मार्च 2010

चाहता हूँ मैं भी मानव बम बन फट जाऊं ........

चाहता हूँ मैं भी -
मानव बम बन फट जाऊं ,
उड़ा दूं जामा -
या एक बार फिर तुम्हारे सपनों की बाबरी मस्जिद ।
लेकिन मैं ऐसा करूंगा नहीं -
मैं एक "हिन्दू "हूँ ।
दीगर है -
मेरे खून में हीमोग्लोबिन के साथ आर डी एक्स वैसे ही है -
जैसे माँ के दूध में डी डी टी -
रामू के खेत में बी टी बैंगन ।
मेरी सरकार कहती है -
"मैं सेक्युलर हूँ "

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