सोमवार, 8 मार्च 2010

हाई -मेंन मिथ और यथार्थ (ज़ारी ....)

कई मर्तबा होर्स राइडिंग (घुड सवारी ),साइकिल चलाते वक्त कोई भी हाड तोड़ खेल के दौरान हाई मेंन यूँ ही रप्चर हो जाती है (दिफ्लोरेशन ऑफ़ हाई मेंन )यानी किसी भी स्त्रेनस स्पोर्ट्स के दौरान ऐसा हो सकता है .प्रथम मिलनमें योनी से रक्त का आना /ना आना कोई मायने नहीं रखता .फिर भी कई धर्म भीरु समाजों में सुहाग रात के बाद "सोइल्ड बेड शीट"दिखाने की रीत चली आई है ।
योनी के बाहर के इस आंशिक घूंघट का फटना अल्पकाली दर्द की वजह बनता है .कई मर्तबा दर्द का एहसास भी नहीं होता .हर औरत अलग होती है .उसकी बनावट अलग होती है .औरत क्या है इसे तो खुदा भी नहीं समझ पाया .ना समझ मर्द ने मनमाने रिवाज़ चला दिए .हाई -मेंन को एक औरत के पाकीज़ा होने का बेहूदा गैर वैज्ञानिक दर्ज़ा दे दिया गया .एक युवती की सेक्सुँलिती उसकी सेक्सुअल हेल्थ को आज समझने और उसे समझाने के बेहद ज़रुरत है .यह काम कोई शिक्षक ही कर सकता है .माँ -बाप कन्नी काट जातें हैं .

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