नानियाँ जिन मर्दों की शिशुकाल से ही परवरिश करतीं हैं ,उनके लौंडिया -बाज़ (वोमेनाइज़र)बन ने की संभावना बलवती हो जाती है ?हम नहीं ऐसा एक अमरीकी मनो -रोग विद कह रहें हैं ।
डेनिस फ़्रिएद्मन अपनी किताब "दी अन -सोली -साईं -तिद गिफ्ट "में उन माताओं को आगाह करते हुए कहते हैं जिनके पास अपने पुत्र की परवरिश के लिए वक्त नहीं है ,जो अपनी जिम्मेवारी अपनी माँ को सुपुर्द कर निश्चिन्त हो जातीं हैं ,आपका बेटा ता उम्र दोहरे -मान दंड जीता रहता है .लाइफ लॉन्ग डबल स्तेन्दर्ड्स उसे घेरे रहतें हैं ।
शादी शुदा जिन्दगी में उसका एक औरत से पेट नहीं भरता ."हलवा सूजी का चस्का दूजी का "उसे तंग करता रहता है .यह जो दूसरी औरत है "दी अदर-वोमेन "यह जो बचपन से उसके साथ चली आई है यह उसकी हर ख्वाइश पूरी कर सकती है यही फलसफा उसे भरमाये रहता है .यही जानती समझती है ,उसे कब क्या चाहिए .बीबी तो अपनी धुन में रहती है .कंप्यूटर वायरस बन परेशानियां बुनती रहती है ।
सन्दर्भ सामिग्री :"बोइज विद नानीज टर्न वोमेनाइज़र्स(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च २२ ,२०१० )
मंगलवार, 23 मार्च 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें