शुक्रवार, 5 मार्च 2010

अंतड़ियों में छिपा है बीमारियों का राज़ .

तमाम तरह के रोगकारक पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले जीवाणु ,विषाणु ,परजीवी आदि )हमारी अंतड़ियों में डेरा डाले पड़े रहतें हैं .साइंस दानों ने इनके जीवन खण्डों का पूरा खाका (जीन मेप ,जीन सीक्युएंस )तैयार कर लिया है .माहिरों का मानना है .यदि रोग पैदा करने वाले जीवाणु की शिनाख्त गट में कर ली जाए और फिर वहीँ उसका खात्मा भी कर दिया जाए तो रोग से भी पुख्ता तौर पर छुटकारा मिल सकता है ।
मानवीय पाचन तंत्र मुख गुहा से लेकर गुदा तक विस्तारित है इसी पाचन तंत्र (डाई-जेस्तिव सिस्टम )में हज़ारों हज़ार जीवाणुओं का प्राकृत आवास है .इनका संबंद्ध कुछ ख़ास बीमारियों से सीधे सीधे जोड़ा जा सकता है .यहाँ तक ,कैंसर पैदा करने वाले विषाणु की निशाँ देही कर कैंसर का भी पुख्ता इलाज़ किया जा सकता है ।
मधुमेह और मोटापे से निजात दिलवाई जा सकती है ।
यह तमाम तथ्य अंतर्राष्ट्रीय साइंसदानों की एक टोली ने हाल ही में प्रकाशित एक पर्चे में प्रस्तुत कियें हैं .विज्ञान पत्रिका "नेचर "के ताज़ा अंक में चीनी रिसर्चरों की एक टोली के अगुआ वांग जून ने बतलाया है ,अब तलक जीवाणुओं की एक हज़ार से भी ज्यादा प्रजातियों का हमारी अंतड़ियों में पता लगा या जा चुका है .इनमे से हरेक का जीन खाका भी तैयार कर लिया गया है .यह अपने प्रकार का पहला आनुवंशिक कैलेण्डर (जेनेटिक केतालोग है )।
इस एवज १२४ डेनमार्क वासियों तथा स्पेन निवासियों के स्टूल साम्पिल्स की विस्तृत जांच की गई थी .इस दरमियान ऐसी कई जीवन इकाइयों (जींस )की निशाँ देही की गई जिनका संबंद्ध मोटापे और क्रोहन्स दीजीज़ से जोड़ा जा सकता है .कैंसर ,ओबेसिटी जैसी सर्वव्यापी समस्या के लिए भी यही जींस कुसूर वार हैं .बेशक पाचन में इनकी विधाई भूमिका है यही कहना है वांग का .आप बेजिंग जीनोमिक्स के कार्य कारी निदेशक है ।
इन बेक्टीरिया पर काबू करने का मतलब है रोग की जड़ पर प्रहार .

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