प्रदूषित हवा ना सिर्फ श्वसन सम्बन्धी परेशानियों का सबब बनती है ,इसमें मौजूद प्रदूषक तत्व हमारी ज़िन्दगी के बेशकीमती नौ साल ले उडती है .एक ब्रितानी रिपोर्ट के मुताबिक़ तकरीबन ५०,००० लोग वहां समय से पहले ही इस दुनिया से कूच कर जातें हैं ।
हाउस ऑफ़ कोमंस की एनवाय -रंमेंतल ओदित कमिटी के मुताबिक़ यह वह लोग है जहां और जिनके परिवेश में हवा या तो बहुत गंदी है या फिर वे जिन्हें श्वसन सम्बन्धी दिक्कतें घेरे रहतीं हैं ।
हवा में पसरे कनीय प्रदूषक सल्फेट और कार्बन कणों के अलावा धूल (डस्ट )तो स्वास्थ्य्के लिए खतरनाक है ही ,नाइट्रोजन के ओक्स्सैड्स तथा ओजोन भी सेहत पर दुष्प्रभाव डालतें हैं .इस बाबत युनैतिद किंडम सरासर यूरोपीय मानदंडों और रेग्युलेसंस की अवहेलना कर रहा है .इस एवज इस पर ३०० मिलियन पोंड का जुर्माना ठोका जा सकता है .यह एमिसंस को कम करने का दौर है .एक तरफ यहाँ सड़क परिवहन नियम कायदों की अनदेखी कर रहा है वहीँ पावर प्लांट्स भी हमारी हवा में खतरनाक विष (सल्फर्दाय ओक्स्सैद )घोल रहें हैं .बेशक यह उत्सर्जन शहरी सीमा के बाहर हो रहा है लेकिन पर्यावरण तो सबकी सांझी धरोहर है .हज़ारों हज़ार मील दूर इसी सल्फर डाय-ओक्स्सैद से तेजाबी बारिश हो सकती है । सवाल सिर्फ ब्रितानी शरों का नहीं है ,साफ़ सुथरी हवा ,आबोहवा से ताल्लुक रखता है .
न्यू साइंटिस्ट ने इस रपट को प्रकाशित किया है ।
ज़ाहिर एक बड़ा रद्दो बदल ब्रितानी परिवहन नीतियों में ही इस ट्रेंड से मुक्ति दिलवा सकता है .लिप सर्विस करने से कुछ होने जाना नहीं है ।
दुर्भाग्य यही है आइन्दा कमसे कम दस सालों तक ऐसा कुछ भी नहीं होना है .सरकारों का दायित्व है कुछ कायम रह सकने लायक परिवहन के बारे में भी सोचें .ब्रिटेन भी इससे बच नहीं सकता .लीड्स विश्व -विद्यालय के इन्स्तित्युत फॉर ट्रांसपोर्ट स्टडीज़ में कार्य रत पुल फार्मिंन बारहा सरकार को चेता रहें हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :पोल्युतिद एयर शोर्त्निंग लाइव्स बाई अपतु९ ईयर्स :स्टडी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च २९ ,२०३० )
सोमवार, 29 मार्च 2010
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