पाचन में अंतड़ियों में पाए जाने वाले "गट बेक्टीरिया "का बड़ा हाथ होता है .ज़ाहिर है यदि आप बिना कुछ किये धरे (डाइटिंग या कसरत ना करते हुए भी )शरीर से चर्बी उतारना कम करना चाहतें हैं तब गट बेक्टीरिया की एक सर्विंग आप की मदद कर सकती है ।
जापानियों ने अपने एक अध्धयन में माउस के गट बेक्टीरिया को ह्यूमेन गट फ्लोरा से रिप्लेस करने के बाद क्या देखा ?अंतड़ियों से वसा का अवशोषण (ज़ज्बी )कम हो गया ।
निष्कर्ष निकाला गया यदि ओवर वेट लोगों की खुराख में एक प्रकार का "गट माइक्रोब "शामिल किया जाए तब इसके अच्छे नतीजे मिल सकतें हैं .ऐसा हुआ भी .इन सभी लोगों का वजन कम हो गया ।
कारण बेक्टीरिया अंतड़ियों द्वारा चर्बी की ज़ज्बी को कम करदेता है ..रोक लगाता है वसा के अवशोषण पर ।
बाधित करता है चिकनाई की ज़ज्बी को ।
अध्धययन के दौरान साइंसदानों ने ८७ ओवरवेट स्वयं -सेवियों को १००ग्रेम किन्वित दूध (फर्मेंतिद मिल्क )मुहैया करवाया रोजाना .,दिन में दो बार .दही बनाने में इसी किन्वित दूध का स्तेमाल किया जाता है ।
इनमे से आधे वोलान्तीयार्स के दूध में लेक्तोबेसा -इल्स गस्सेरी की बहुलता रखी गई .१२ हफ़्तों के बाद इनका वजन एक किलोगेर्म कम हो गया .बाकी आधे का वजन जस का तस रहा ।
स्केन्स से यह भी पता चला इनका "बेद विसरल फेट "भी ४.६ फीसद कम हो गया .मेटाबोलिक सिंड्रोम में इस विसरल फेट का बड़ा हाथ होता है .अलावा इसके इनके सब -क्यूट एनिअस फेट में भी ३.३ फीसद की कमी दर्ज की गई .यानी चमड़ी के नीचे छिपा फेट भी कम हुआ ।
हिप (नितम्ब )और वेस्ट (कटी )का घेरा (सरकंम फारेंस )१.७ और १.५ सेंटीमीटर घटा ।
२००९ में जेरेमी निकोल्सन ने अपने साथी रिसर्चरों के साथ मिलकर (इम्पीरियल कोलिज लन्दन )प्रोबायोटिक्स "लेक्टो बेसैलास" की स्ट्रेंन मैस को परोसी .इनके गट माइक्रोब्स को ह्यूमेन गट फ्लोरा से पहले ही रिप्लेस कर दिया गया था .पता चला इनमे एक अलग प्रकार का बा -इल एसिड बना जिसने ऐसे एंजाइम्स का साथ दिया जो अंतड़ियों से फेट को उडातें हैं .वसा के पाचित अंश को कमतर करतें हैं .इस प्रकार एक और माइक्रोब्स ज्यादा वसा ले उड़ते हैं दूसरी और मल के साथ बाहर चले जातें हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :तू कट फ्लेब ,एड अ हेल्पिंग ऑफ़ गट बग्स (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च २७ ,२०१० )
शनिवार, 27 मार्च 2010
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