रविवार, 7 मार्च 2010

ब्लेक सी के नामकरण की वजह क्या है ?

दक्षिण पूरबी यूरोप और एशिया के बीच एक इन्लेंडसी है इसे ही ब्लेक -सी या काला सागर कहा जाता है .इसका क्षेत्रफल ४३६,४०० वर्ग किलोमीटर यानी १६८,५०० वर्ग मील है .सवाल इसके नाम करण का है .आखिर "काला सागर "इसका नाम क्यों पडा ?
पुराने ज़माने में मुख्य दिशाओं को रंगों से जाना जाता है (पूरब ,पश्चिम ,उत्तर ,दक्षिण दिशाओं को अलग अलग रंग दिए गए थे ).ब्लेक का मतलब होता था "नोर्थ "यानी उत्तर दिशा ।
ब्लेक सी जो एक "इन्लेंड- सी "है यूरोप ,अनातोलिया तथा काकेसस से घिरा है .यह अंत -तया अंध -महासागर यानी एटलान्टिक ओशन में मिल जाता है बा -रास्ता मेदितरेनियाँ (भूमध्यसागर )तथा एजियन सागर .कई स्ट्रेट्स भी इसके रस्ते में आतीं हैं ।
इसे इन्होस्पितेबिल समझा जाता था नेविगेशन के प्रतिकूल .यूनानी उपनिवेशीकरण से पूर्व इसे डार्क एरिया (ब्लेक )ही समझा गया था .लेकिन यहाँ ब्लेक का अर्थ प्रतीकात्मक था .जहां पहुंचा ना जा सके या जहां आकर दिशा -खो जाए ,दिशा -च्युत हो जाए नाविक .इसके किनारे खतरनाक कबीलों का डेरा था ।
ब्लेक -सी का पानी मेदितरेनियाँ के बरक्स काला दिखलाई देता है क्योंकि इसमें हाई -द्रोजन सल्फाइड की परतें हैं (लेयर्स हैं ).यह परतें सतह से २०० मीटर से नीचे जाने पर मिलतीं हैं .यहाँ एक विशिष्ठ ओर्गेनिज्म (माइक्रोबियल पापुलेशन है .यही सूक्ष्म जीव(प्रणालियाँ )काले रंग के अवसाद (सेदिमेंट्स )तैयार करतें हैं .

1 टिप्पणी:

शरद कोकास ने कहा…

बहुत अच्छी जनकारी