देख तो दिल के जाँ से उठता है ,ये धुंआ सा कहाँ से उठता है ?आखिर क्या बात है सब का दर्द और पीड़ा सहने का माद्दा अलग अलग होता है .थ्रेश होल्ड ऑफ़ पेन का सम्बन्ध लगता है हमारी खानदानी दाय,हमारे जीवन खण्डों ,हमारी जींस में छिपा है .एक ताज़ा अध्धय्यन इन दिनों इसी ओर इंगित कर रहा है .आइये जानतें हैं दर्दे -जीन को ।
विज्ञानियों ने पता लगाया है कुछ लोगों में एक जीवन -इकाई "एस सी एन ९ए "जीन की मौजूदगी उन्हें दर्द के प्रति ज्यादा संवेदी बना देती है .ज़रा सी पीड़ा से ये लोग कराह उठते हैं ।
केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के साइंसदान इसे दर्दे -जीन कह रहें हैं .इस जीवन इकाई की मदद से देर सवेर दर्द का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है ।
डॉक्टर गेओफ्फ्रे वूड के नेत्रित्व में साइंस दानों की एक टीम ने इस जीन का पता "सियाटिका ",फेंटम पेन ",तथा "पेन्क्रिएताइतिस "से ग्रस्त मरीजों में लगाया है ।
सियाटिका :सियाटिक नर्व ,आइदर ऑफ़ दी तू नर्व देत रन फ्रॉम दी बेक ऑफ़ दी हिप डाउन दी थाई तू दा काल्फ़ ।
सियाटिका इज बोर्न आउट ऑफ़ ए प्रोत्रुज़ं ऑफ़ वर्त्रिबल डिस्क सब्सटेंस प्रेसिंग ओं दी रूट्स ऑफ़ सियाटिक नर्व ।
इन ईट पेन एंड तेंदार्नेस एक्स्तेंड्स फ्रॉम दी बेक ऑफ़ दा हिप और दी सियाटिक नर्व ।
सीवीयर पेन इन दी लेग अलोंग दी कोर्स ऑफ़ दा सियाटिक नर्व फेल्ट अत दी बेक ऑफ़ दा थाई एंड रनिंग डाउन दी इनसाइड ऑफ़ दी लेग इज ए प्रोमिनेंट सिम्तम ऑफ़ सियाटिका ।
फेंटम पेन :दर्द नहीं दर्द का एहसास मात्र है "भुतहा या छद्म दर्द "है ।फेंटम प्रेगनेंसी की तरह .
पेन्क्रिएताइतिस इज इन्फ्लेमेशन ऑफ़ दा पेंक्रीयाज़ (यानी अग्नाशय की सोजिश और किसी भी प्रकार का संक्रमण अग्नाशय -शोथ कहा जाता है ।)
एहसासे दर्द पर लौट तें हैं ।
एक और अध्धययन जो तकरीबन १८६ तंदरुस्त महिलाओं पर संपन्न हुआ है बतलाता है जिनमे यह जीन पाया गया वह दर्द के प्रति अतरिक्त रूप से संवेदी रहीं .साइंस दानों ने पता यह भी लगाया है इस जीवन इकाई का उत्परिवर्तित रूप "म्युतेतिद वर्षं "एक ऐसा प्रोटीन बना लेता है जो देर तक बना रहता है (ईट स्टेज ओपन लोंगर दें दी नोर्मल वन .यही नर्व को अतरिक्त उत्तेज़ं प्रदान कर देता है अतिरिक्त रूप से सक्रीय कर देता है .नतीज़ा होता है -ए सेंसेशन ऑफ़ ए दल एकिंग पेन ।
इन दिनों दुनिया भर में अनगिन लोग आर्थ -रैतिस(र्युमेतिक तथा आम जोड़ों के दर्द ) से ग्रस्त हैं जो लोगों को अवसाद की ज़द तक ले आता है .लाखों लोग रोज़ चोटिल होते रहतें हैं ।
एक ऐसी दवा जो इस प्रोटीन की सक्रियता पर काबू कर ले एक बेहतरीन दर्द नाशक साबित हो सकती है .आखिर सभी दर्द नाशी अलग अलग लोगों में एक सा असर क्यों नहीं छोड़ पाते ?राजे जीन ?
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
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