हेविंग तू किड्स इज बेस्ट फॉर हेल्थ (टाइम्स ऑफ़ इंडिया मार्च १५ ,२०१० )
"पेरेंट हुड कीप्स डिसीज़ अत बे "
एक ताज़ा अध्धय्यन के मुताबिक़ जिनके पास दो बच्चे हैं वह केवल एक बच्चे और बिन -बच्चे वाले माँ -बाप (चाइल्ड लेस कपल )के बनिस्पत तंदरुस्त रहतें हैं .इस अंतर -राष्ट्रीय शोध ने १५ लाख लोगों की सेहत का जायजा लेने के बाद उक्त निष्कर्ष निकाला है ।
रिसर्च के मुताबिक़ माँ या फिर पिता बनना कई बीमारियों से बचाए रहता है ,कैंसर ,हृदरोगोंऔर पियक्कड़ होने के जोखिम को कमतर करता है ।
लेकिन यह फायदा सिर्फ दो बच्चों वाले माँ -बाप को होता दिखलाई दिया .एकल संतान या फिर निस्संतान दम्पतियों को ऐसा कोई फायदा नहीं मिल पाता है .इन्हें तमाम तरह के रोगों के होने का जोखिम बना रहता है क्योंकि ये लोग अपने स्वास्थ्य की ओर से लापरवाह बने रहतें हैं ,पूरा ध्यान नहीं दे पातें हैं ।
अध्धय्यन से यह भी पुष्ट हुआ दो बच्चे होना माँ -बाप के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी एक आदर्श स्थिति है .दो से अधिक बच्चे वाले माँ बाप तरह तरह की समस्याओं से घिरे कई तरह के दवाबो से जूझते रहतें हैं .बच्चों को परवरिश ,अच्छी परवरिश ,शिक्षा ओर सेहत मुहैया करवाना उतना आसान नहीं है .एमिली ग्रुन्द्य (लन्दन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मेडिसन )के नेत्रित्व में इस अध्धययन को आगे बढाया गया था .बकौल आपके माँ -बाप बन ने का उन लोगों को ज़रा भीलाभ नहीं मिल पाता जिनके चार से भी ज्यादा बच्चे होतें हैं .तमाम तरह के आर्थिक राजनितिक दवाबों की चक्की इन्हें पीसे रहती है .जीवन शैली भी बिगड़ जाती है इन लोगों की ।
लालूजी अपवाद हो सकतें हैं .वह नियम ही क्या जिसका अपवाद ना हो ?
सोमवार, 15 मार्च 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें