एस्ट्रो -बाय -लोजी यानी खगोल -जीवविज्ञान से आप क्या समझतें हैं ?
खगोल विज्ञान की ही एक शाखा को जिसके तहत अंतरिक्षके भौमेतर भागों (एक्स्ट्रा -तेर्रिस्त्रियल पार्ट्स ) में जीवन की संभावनाओं ,रहवासों (हेबितेट्स )का पता लगाया जाता है खगोल जीवविज्ञान कहा जाता है .अलावा इसके यह एक व्यापक अनुशाशन है जिसके अंतर्गत बाहरी अन्तरिक्ष के भौमिक जीवन पर पड़ने वाले संभावित असर का भी पता लगाया जाता है .प्रोजेक्ट "सेती "यानी सर्च फॉर एक्स्ट्रा -टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस इसी के तहत आता है .खगोल ,भौतिकी ,जैव ,भू -भौतिकी के माहिरों का एक बहुत बड़ा हिस्सा इस बात का हामी हैं ,पृथ्वी के अलावा अन्य नक्षत्र मंडलों नक्षत्र परिवारों में भी जीवन मुमकिन है .आदिनांक यह हमारी बूझ ,पकड से बाहर है यह दीगर बात है ।
जीवन के सृष्टि में उद्भव और होने ,विभाजन की कथा है ,खगोल -जैविकी .अपने होने का अहसास करा देते हैं ,जब ग़ज़ल कोई ज़माने को सुना देते हैं ।
अंतर -अनुशासन अध्धय्यन की एक बेहतरीन मिसाल है -खगोल जीवविज्ञान जिसके अंतर्गत तमाम भौतिक विज्ञानों का बेरोक टोक प्रवेश और समावेश है .चाहे फिर वह भौतिकी (फिजिक्स )हो या रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री )खगोलविज्ञान हो या जीवविज्ञान ,पारिस्थितिकी (इकोलोजी )या ग्रहों का अध्धयन (प्लेनेटरी साइंस ),भूगोल हो या भूविज्ञान (जीयोलोजी ).लक्ष्य सबका एक ही है -भौमेतर जीवन का पता लगाना .क्या सृष्टि में हम पृथ्वी वासी अकेले हैं ?या और भी अति विकसित सभ्यताओं का अस्तित्व है ?क्या जीवन का स्वरूप इतर ग्रहों पर भिन्न है ?विज्ञानियों का एक बड़ा तबका इस बात का हिमायती है पृथ्वी पर जीवन धूमकेतुओं से आया .अन्तरिक्ष में छिपे हैं जीवन के सूत्र .
रविवार, 7 मार्च 2010
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