मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

भारत में गर्भाशय गर्दन कैंसर (सर्विक्स कैंसर )की बड़ी वजह ...

गर्भाशय गर्दन का कैंसर एक विषाणु "ह्यूमेन पेपिलोमा वायरस " यानी "एच पी वी " से पैदा होता है जिसकी अब तक १०० से भी ज्यादा स्त्रेंस (किस्मों )की शिनाख्त हो चुकी है लेकिन भारत में "एच पी वी -१६ "तथा "एच पी वी -१८ "इसकी एक बड़ी वजह बने हुए हैं दक्षिण पूर्व एशिया में सर्विक्स कैंसर से हर घंटा १० औरतों की मौत हो जाती है इनमे से ८ भारतीय महिलायें ही होतीं हैं ।।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में माइक्रो -बायलाजी विभाग के डॉक्टर ऐ .राजकुमार पात्रो ने "अमरीकन एसोसियेशन फार कैंसर रिसर्च फ्रंटियर्स इन बेसिक कैंसर रिसर्च "की एक बैठक में अपने अन्वेषणों के बारे में बतलाते हुए कहा -हालाकि भारत में "एच पी वी "की तमाम किस्में देखी गईं हैं लेकिन मुख्य कारक एच पी वी -१६ ,एच पी वी -१८ ही बने रहें हैं .इनका बचावी टीका ७५ फीसद सर्विक्स कैंसर का उन्मूलन कर सकता है ।
एच पी वी की तमाम किस्मों से पैदा कुल १,३२ ,००० नए मामले हर साल दर्ज होतें हैं ,जबकि कुल ७४ ,००० महिलायें गर्भाशय गर्दन के कैंसर से हर साल मर जातीं हैं .कारण होता है रोग की अन्तिम अवस्था में शिनाख्त (रोग निदान ),या फ़िर ला परवाही से किया गया आधा अधूरा इलाज़ ।
पार्त्रो और उनके सह चिकित्सा कर्मियों ने कुल १०६ इनवेसिव सर्विकल कैंसर ,५२४ अन्हेल्दी सर्विक्स और एक समुदाय की तमाम महिलाओं का पेपिलोमा वायरस के लिए परिक्षण किया जो जांच के लिए आगे आई थीं ।
इनमे से इनवेसिव कैंसर के ८३ फीसद मामले "एच पी वी -१६ "या फ़िर "एच पी वी -१८ "के पाये गए ।
अन्हेल्दी सर्विक्स के १५.५ फीसद मामलों में एच पी वी वायरस पाया गया .एच पी वी -१६ और एच पी वी -१८ नार्मल डिजीज के ३४.३ तथा लो और हाई -ग्रेड डिजीज के क्रमशय ४५.४ और ६५.७ मामलों में मिला ।
सामुदाय के भीतर कुल मिलाकर ७ फीसद मामलों में एच पी वी की मौजूदगी दर्ज़ की गई गर्भाशय गर्दन कैंसर से होने वाली कुल मौतों में एक चौथाई हिस्सेदारी (आलमी स्तर पर ग्लोबल लेविल पर )भारतीय महिलाओं की रहती है ।
उम्र के मुताबिक मानकी करण (स्तेंद्रैजेशन )करने पर सबसे ज्यादा मौतें इस बीमारी से भारतीय महिलाओं की ही होतीं हैं ।
("इन टर्म्स आफ कैंसर देथ्स ,इंडिया हेज़ वन फोर्थ आफ दी ग्लोबल बर्डन एंड वें यु स्टेड -दरैज़ फार एज आईटी इज दी हाई -अस्त )।
ज्यादर महिलायें रोग की टर्मिनल स्टेज में ही इलाज के लिए आगे आतीं हैं ,इलाज़ भी मुकम्मिल (पूरा )नहीं करवातीं ,बीच में ही छोड़ देतीं हैं ।
अ -पढ़ -टा (इल्लित्रेसी )के चलते इसीलिए इसे (सर्विकल कैंसर )को पूअर विमेन डिजीज कहा जाता है (दक्षिण पूर्व एशिया के सन्दर्भ में )।
बहर सूरत भारत में एच पी वी वायरस के ख़िलाफ़ वेक्सीन (फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ,अमरीका द्वारा अनुमोदित )"गर्दासिल "का एक व्यापक नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल )भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् करने जा रही है .इसे बचावी चिकित्सा के लिए १०० फीसद कामयाब बतलाया जा रहा है ।
९ -२६ साला महिलाओं के लिए इसे बेहद मुफीद पाया गया है ।
परीक्षणों के कामयाब रहने के बाद इसके स्तेमाल की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा Dऐ दी जायेगी .तीन साला परीक्षणों में भारत के चार नाम चीन चिकित्सा संस्थान शिरकत करेंगे .इसमे देश के चार इलाकों से कुल १७ -२३ साला ६०० युवतियों को शामिल किया जाएगा ।
दुनिया भर मेंहर साल दर्ज कुल ५.१ लाख मामलों में से ८० फीसद का सम्बन्ध गरीब दुनिया से ही रहता है ।
मुख्य वजह है -कम उम्र में विवाह ,कम अन्तर से संतानों का पैदा होना ,पूअर हाई -जीन (स्वास्थय -विज्ञान ,साफ़ सफाई का औरत -मर्दों में अभाव ।)
सन्दर्भ सामिग्री :-होप इन साईट :स्त्रेंस आफ वायरस BIHAAIND सर्विकल कैंसर FAAUND (TAAIMS आफ इंडिया ,OCTOBER ,१३ ,२००९ ,PRISHTH १३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

कोई टिप्पणी नहीं: