एक साफ़ सुथरा माहौल काम करने के लिए बेहद ज़रूरी है क्योंकि स्वच्छ परिवेश हमारे नैतिक आचार विचार को भी प्रभावित करता है .इसीलिए कहा गया -क्लीन्लिनेस इज नेक्स्ट तू गोद्लिनेस ।
एक नवीनतर अमरीकी अध्धययन ने भी उक्त निष्कर्ष की पुष्टि की है .अध्धय्यन में स्वछ्तर माहौल (क्लीन स्मेलिंग इनवायरनमेंट )के कामकाजी लोगों के अचार व्यवहार पर पड़ने वाले असर की पड़ताल की गई ।
आप जानतें हैं -दफ्तरों में कम्पनियों और निगमों में नियम कायदे से लोग चलें इस एवज एक अलग निगरानी तंत्र रहता है -इसे आप ट्रेडिशनल सर्विलिएंस मेथड तू एनफोर्स रूल्स की केटेगरी में रख सकतें हैं ।
कम्पनीज ओफ्तें इम्प्लोय हैवी -हेन्दिद इन्तार्वेंसंस तू रेग्युलेट कंडक्ट बत दे कैन बी कास्टली आर आप्रेसिव -यह कहना है इस अध्धय्यन के अगुवा रहे केटी लिल्जेन्क़ुइस्त का .आप ब्रिघम यौंग यूनिवर्सिटी मैरियट स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट से सम्बद्ध हैं .लेकिन स्वच्छ माहौल की बात ही और है -यहाँ माहौल ही प्रेरक की भुमिका में देखा जा सकता है जो नैतिक आचरण को उभारता है ।
एक प्रयोग में फे -यार्नेस का जायजा लिया गया .औचित्य न्याय स्वच्छता का जायजा लेने के लिए सहभागियों के बीच ट्रस्ट गेम खेला गया .एक सब्जेक्ट्स के पास दूसरे कमरे में मौजूद एक बेनामी सब्जेक ने १२ डॉलर भेजे .उन पर भरोसा करते हुए उसे आपस में तकसीम करने के लिए कहा गया ताकि बाकी सहभागियों को भी उनका हिस्सा दे दिया जाए .सेंतिद रूम में बैठे सब्जेक्ट्स ने अपेक्षाकृत ज्यादा हिस्सा सहभागियों को लौटाया ,ख़ुद कमतर रखा ।
ज़ाहिर है -एक खुशनुमा सुरभित माहौल हमारे अन्दर का सर्व श्रेष्ठ बाहर लाने में मदद गार रहता है .यही इस अध्धय्यन का संदेश है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-क्लीन्लिनेस ब्रिंग्स आउट दी बेस्ट इन यु :स्टडी (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर २६ ,२००९ .पृष्ठ १३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
सोमवार, 26 अक्तूबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें