हेनरिख हैइन यूनिवर्सिटी दुस्सेल्दोर्फ़ के शोध कर्ताओं ने अपने एक अध्धय्यन में बुजुर्ग महिलाओं में होने वाले "कोगनिटिव इम्पैर्मेंट "संज्ञानात्मक -क्षति और वायु -प्रदूषण में एक अंतर्संबंध की पड़ताल की है ।
अध्धय्यन में उन महिलाओं के नाम पते ,उम्र ,व्यस्त राज मार्गों से उनके आवासों की दूरी दर्ज की गई .संज्ञानात्मक परीक्षणों से पता चला -७४ साल से नीचे की उम्र वाली महिलायें जितना अधिक इन राजमार्गों के समीप रहतीं थीं ,उनमे कोगनिटिव -इम्पैर्मेंट भी उतना ही ज्यादा है ।
ऐसा प्रतीत होता है -वायु में मौजूद महीन कण बारास्ता लंग्स दिमाग के उस हिस्से में पहुँच कर इन्फ्लेमेशन पैदा कर्देतें हैं जिसका सम्बन्ध डिमेंशिया से जोड़ा जाता है ।
बात साफ़ है .जीवन की गुणवता को बनाए रखने में -आबो हवा का अपना हाथ है .हमने अपनी करतूतों से ,अपने कार्बन फ़ुट प्रिंट से अपनी ही हवा पानी की गुणवता ,तात्त्विक ता नष्ट कर डाली है ,अंजाम तो भुगतना ही होगा .
गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009
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