यूनिवर्सिटी आफ एडिनबरा एवं मेडिकल रिसर्च कौंसिल ने पता लगाया है -गर्भा -वस्था का तनाव वयस्क होते होते पुरूष की प्रजनन क्षमता को असरग्रस्त बना सकता है ।
विज्ञानियों ने अपने इस अध्धय्यन में स्ट्रेस हारमोन "ग्लूको -कोर्टी-कोइड्स "के साथ साथ ग्लूज़ ,पैंट्स और प्लास्टिक्स आदि उत्पादों में आम तौर पर पाये जाने वाले एक और रसायन की असर ग्रस्तता (प्रभाव )की पड़ताल की ।
पता चला दोनों का सांझा असर "रिप्रोदाक्तिव बर्थ दिफेक्ट्स की वजह बन सकता है .बात साफ़ है -एम्ब्रियो से लेकर फीटस तक गर्भा -वस्था में माँ द्वारा झेला तनाव जन्म जात "प्रजनन सम्बन्धी जन्म दोष" की वजह बन सकता है ।
क्र्य्प्तोर्चिदिस्म (फेलियोर आफ दी तेस्तिकिल्स तू दिसेंद इनटू दी स्क्रोतम )।
क्रिप्तोर्चिद (क्र्य्तोर्चिस )-एन इन्दिविज्युअल इन हूम आइदर आर बोथ तेस्तिकिल्स हेव नाट दिसेंदिद इनटू दी स्क्रोतम .,देत इज तेस्तिकिल्स फेल तू ड्राप ।
एक प्रजनन सम्बन्धी जन्म दोष और देखा गया है -तनाव की सौगात के रूप में -"ह्य्पोस्पदिअस "वें न दी यूरिनरी ट्रेक्ट इज रोंगली एला- इंद ।
दी कंडीशंस आर दी मोस्ट कामन बर्थ दिफेक्ट्स इन मेल बेबीज़ ।
अध्धय्यन के तहत चिकित्सा -विज्ञानियों ने नर -चूहे की एम्ब्रियो से लेकर फीटल से लेकर गर्भा -वस्था की पूर्ण अवस्था तक हर चरण में पड़ताल की है ।(ड्यूरिंग दी स्टडी दी रिसर्चर्स एक्सामिंद दी मेल फीटल डिवेलपमेंट इन रेट्स .)
नतीजा आपके सामने है -एक्सपोज़र तू स्ट्रेस ,व्हाइल इन फीटस कैन इफेक्ट मेल फर्टिलिटी ।
सन्दर्भ सामिग्री :-
(टाईम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर २३ ,२००९ ,पृष्ठ १६ )
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें