रविवार, 18 अक्तूबर 2009

झेलम की जीवन रेखा रहे हिमनद अब तेजी से पिघल रहें हैं .

हिमालय के दूसरे हिमनदों की तुलना में झेलम की अब तक जीवन रेखा रहे हिम नाद कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रहें हैं ,एक हालिया अध्धय्यन ने इसकी पुष्टि की है ।
गत सौ सालों में इस पर्बतीय क्षेत्र के तापमानों में अब तक १.१ सेल्सिअस की वृद्धि दर्ज की जा चुकी है ,इसीलिए हिमालय क्षेत्र के हिमनदों का तेज़ी से सफाया होता रहा है -यह सब जलवायु परिवर्तन की तरफ आम औ ख़ास का ध्यान खींचने के लिए क्या नाकाफी है ?
गत तीस सालों में ११ वर्ग किलोमीटर में फैला कश्मीर का "कोलाहोई -हिमनद "२.६३ वर्ग किलोमीटर सिकुड़ चुका है ।
हर साल यह हिमनद ०.०८ वर्ग -किलोमीटर तक सिकुड़ रहा है ।
कश्मीर विश्व -विद्द्यालय के भू -गर्भ विभाग के हिमनद -माहिर शकील रामसू ने उक्त नतीजे हाल ही में एक वर्क शाप में श्रीनगर में प्रस्तुत किए हैं .यह अध्धय्यन तीन सालों तक जारी रहा है ।
कश्मीर की जीवन रेखा झेलम ,इतर सहायक जल धाराओं ,झीलों को यही हिमनद सींचता रहा है ।
नै सहस्राब्दी में हिमनदों के पिघलने की रफ़्तार दोगुना हो चुकी है -२००६ में हिमनद सबसे ज्यादा पिघलें हैं .युनैतिद नेशंस इनवायरनमेंट प्रोग्रेम एंड वर्ल्ड ग्लेशियर मानिटरिंग सर्विस ने उक्त तथ्य की पुष्टि की है .

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