केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के माहिरों ने उस जीन की शिनाख्त कर ली है जिसके क्षतिग्रस्त होने परस्तन और कमसे कम आधे मामलों में ,अन्तडी ,प्रोस्टेट (पौरूष ग्रंथि ) तथा एक चौथाई में गर्भाशय और ब्लेडर के कैंसर आ घेरतें हैं ।
यूँ एन आर जी -वन(१ )नाम की यह जीवन ईकाई जन्मना हम सभी लेकर पैदा होतें हैं ,लेकिन क्षति ग्रस्त हो जाने पर यह शैतान (रोग ) बन जाती है .विकार ग्रस्त क्षतिग्रस्त हो यह जीवन ईकाई कैंसर बनने की उसी प्रक्रिया को उकसा देती है जिसे ठीक ठाक होने पर यह रोके रहती है .यानी जीन की सामान्य कापी कैंसर की बढ़वार को रोकने में एक ब्रेक का काम करती है कोशिका विभाजन की प्रक्रिया को नियंत्रित रखती है ,लेकिन जब भी यह क्षतिग्रस्त हो जाती है कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है .नतीजा होता है -ट्यूमर इसे १९७० के बाद की अब तक की सबसे बड़ी ख़बर बतलाया जा रहा है ।क्योंकि यह जीन ब्रेस्ट कैंसर के अलावा प्रोस्टेट और बौअल कैंसर के कमसे कम आधे और ओवेरियन तथा ब्लेडर कैंसर के कमसे कम एक चौथाई मामलों में कुसूरवार बतलाई गई है ।
लेकिन यह जीन कब क्यों और कैसे क्षतिग्रस्त होती है यह अभी अन -अनुमेय ही बना हुआ है .जो हो इस जीवन ईकाई की निशाँ देही कैंसर के इलाज़ को लक्ष्य भेदी बनाने में मदद गार सिद्ध होगी ।
सन्दर्भ सामिग्री :-नेलिंग रोग जीन मोस्ट इम्पोर्टेंट ब्रेस्ट कैंसर ब्रेकथ्रू इन थर्टी इयर्स (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर ६ ,२००९ ,पृष्ठ १५ ।)
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009
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