पहली मर्तबा विज्ञानियों को एक केमिकल स्विच का पता चला है जो जैव घड़ी को पीछे की ओर लौटाकर ताकत खोती पेशियों में दोबारा जान डाल सकता है .उम्र के साथ साथ हमारी पेशियाँ टूट फूटकी मरम्मत कर लेने की क्षमता खोने लगतीं हैं .ऐसा हाथ पैरों ओर धड के मसल्स (पेशियों ) के साथ ही नहीं होता ,हृद पेशी (हार्ट मसल )के साथ भी यही होता है ।
पेशियों के ताकत खोने के बाद कमजोर पड़ने का मतलब फुर्ती का ह्रास बुढापे की ओर बढ़त अंत -तय मौत ।
एक अध्धय्यन के दौरान पेशियों के मुरझाने ताकत खोने टूट फूट की मरम्मत ना कर पाने के कारणों को तलाशा गया है ओर इस प्रकार निकट भविष्य में एक दवा के निर्माण की ओर पहला कदम रख दिया गया है .,जो निष्प्राण होते मसल्स में एक बार फ़िर जान फूँकने में असरकारी हो सकती है ।
ऐसा प्रतीत होता है एक केमिकल स्विच उम्र के साथ बंद हो जाता है ,इसे दोबारा चालू कर लेने की प्रक्रिया पर रौशनी पड़ी है .बर्कले स्तिथ केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के शोध छात्रों ने अपने अध्धय्यन के दौरान ३० स्वयंसेवियों के ऊतक साम्पिल (तिस्यु साम्पिल )जुटाए इनमे से आधे लोग २१ -२४ साला ओर बाकी के आधे ६८ -७४ साला थे .सभी स्वयंसेवी तंदरुस्त थे .शल्य कर्म करके जंघा से ऊतक जुटाए गए ।
दो हफ्ते के लिए अब एक टांग की पेशियों को हरकत हीन बनाने के लिए कास्ट किया गया (प्लास्टर चढाया गया ),ताकि पेशियाँ निष्क्रिय होकर वेस्ट होने लगें .कास्ट हठाने के बाद इन्हें वेट्स के साथ कसरत करने को कहा गया .अब ३ ओर फ़िर ४ हफ्ता तक कसरत करते रहने के बाद एक बार फ़िर नमूने जुटाए गए .परीक्षण करने पर पताचला कसरत के वक्फे के दरमियान जवान लोगों की पेशियों में अपेक्षा कृतचार गुना ज्या दा स्टेम सेल्स (कलम कोशिकाये )पुनर -उत्पादित हुए बुजुर्गों के बरक्स .पुरानी पेशियों में इन्फ्लेमेशन (शोजिश और संक्रमण)तथा स्कारिंग भी ज्यादा दिखलाई दी ।
बैठे ठाले पेशियाँ ज़वाब दे जातीं हैं इनके गिर्द रिजेंरेतिव इनवायरनमेंट भी छीजने लगता है ।
यही सब होता है बुढाने पर जान लेने के बाद इसे रोकने के उपाय तलाशे गए ।
पता चला एक प्रोटीन का हाथ है पेशियों की स्टेम सेल्स को दोबारा कार गर बनाने उनसे तोड़फोड़ की मरम्मत कर वा लेजाने में .लेकिन "माइतोजन एक्तिवेतिद प्रोटीन काईनेज़ 'बुजुर्गों में नदारद थी ।
जब उनके साम्पिल्स में इसे डाला गया -मरम्मत का काम चालू हो गया ।
इसी प्रोटीन को जो जवानों के ऊतक साम्पिल्स में मौजूद थी जब ब्लोक किया गया ,उनकी पेशियाँ भी मरम्मत का काम ठीक से अंजाम ना दे सकीं ।
यही प्रोटीन एक केमिकल स्विच (जिसे नोच कहा गया है )को आन आफ करने का काम करती है .इसी के आधार पर आइन्दा एक दवा बनाई जा सकेगी जो पेशियों को चुस्त दुरुस्त रखवा सकेगी स्टेम सेल्स को एड लगाकर ।
सन्दर्भ सामिग्री :-इन ऐ फस्ट ,क्लोक टर्न्ड बेक आन एजिंग मसल्स (टाईम्स ऑफ़ इंडिया ,ओक्टोबर २ ,२००९ ,पृष्ठ २३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).
शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009
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