आम तौर पर एक ख़ास शेड्यूल के तहत (०-३साला बच्चों को )हिमोफिलास इन्फ़्ल्युएन्ज़ा टाईप-बी ,दिफ्थिरीया (गले का रोग रोहिणी जिसमे गले में सूजन आ जाती है ) टेटनस ,वूपिंग कफ (कुकर खांसी ,कुकास ),हिपेतैतिस -बी ,पोलियो तथा रोटा वाय
-रस आदि से बचाव के लिए टीके लगाए जातें हैं .टीको केफ़ौरन बाद अक्सर बच्चों को ज्वर (फिब्रिल कन्वल्शन आदि )से बचाव के लिए डॉक्टर एंटी -पाय -रितिक दवा -पेरासिटामोल (एसिता मिनोफें न ) लिख देतें हैं ।
अब चेक (चेकोस्लोवाकिया )रिपब्लिक के चिकित्सा कर्मियों ने पता लगाया है -यह ज्वर नाशी दवा टीको के असर को कम कर देती है ।
चेक यूनिवर्सिटी आफ डिफेन्स के रोमन प्र्य्मुला ने अपने एक अध्धय्यन में बतलाया है -यह दवा टीकों के उत्तर प्रभाव (पार्श्व प्रभाव )के बतौर होने वाले ज्वर (फिब्रिल कन्वल्शन आदि )की उग्रता को बेशक कम करदेती है लेकिन साथ ही यह बच्चों के रोग प्रति -रोधी तंत्र द्वारा कुछ वेक्सीन एंटीजन्स के प्रति होने वाली अनुक्रिया को भी कम कर देती है ,इसीलिए नफ़ा नुक्सान दोनों का ही जायजा लेने के बाद ही दवा (एसितामिनोफें न )दी जानी चाहिए ।
सन्दर्भ सामिग्री :-परा -सितामोल देम्पिंस वेक्सीन इफेक्ट इन किड्स :स्टडी (टाईम्स ऑफ़ इंडिया अक्टूबर १७ ,२००९ ,पृष्ठ -१७ )।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
रविवार, 18 अक्तूबर 2009
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