शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

टक्कर टालने के लिए भविष्य की कारें करेंगी मच्छियों का अनुकरण .

कहतें हैं आदमी ने दोल्फिंस और इतर समुंदरी जीवों से ही तैरने गोता खोरी की कला सीखी है .अब भविष्य की जापानी कारें क्रेश को टालने के लिए मछलियों का अनुकरण करेंगी .आपने देखा है ,मच्छी का स्कूल कैसे समायोजित होकर समूह में सरपट आगे बढ़ता है ,बिना किसी अवरोध के यह निर्बाध आगे बढ़ता रहता है .कटिंग एज जापानी कार प्रोद्द्योगिकी आइन्दा मच्छियों के व्यवहार और क्रीडा का ही अनुकरण करने जा रही है ।
निसान मोटर्स के माहिर (केड कम iन्जीनियार्स ,डिजाइन -निंग अभियान्विकी विद )मच्छियों के स्कूल के व्यवहार का बारीकी से अध्धय्यन कर रहें हैं .फल्तया एक ऐसा मशीनी मानव (रोबोट )तैयार किया जा रहा है जो एक साथ सात यंत्र मानवों के एक समूह (स्कूल )के रूप में आगे बढेगा ,यह अपने हमजोलियों के संग सूचना का आदान प्रदान करता एक काफिले के बतौर आगे बढेगा .यह समूह बम्प्स (हिचकोले ,टक्कर धक्का आदि )से बचाव करता रहेगा ,बच के रहेगा ।
इस एवज एक लेजर रेंज फाइंदर(दूरी पराश पथ प्रदर्शक )रस्ते में आने वाली किसी भी बाधा से दूरी का जायजा ले सकेगा .इसके साथ लैस होगा एक रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम जो मच्छियों के व्यवहार की तरह आगे बढ़ने की सीख देता चलेगा .यह दिशा बोध के साथ साथ आवश्यकता के अनुरूप रास्ता बदल कर दुर्घटना (क्रेश या संभावित टक्कर )को मुल्तवी रखने में मदद गार साबित होगा .काफ्ला अपनी शक्ल और रन -नीति बदलते हुए सुरक्षा पूर्वक आगे बढेगा मच्छियों के मानिंद ।
सन्दर्भ सामिग्री :-फिशिस शो कार्स ऑफ़ फ्यूचर दी वे तू एवोइड कोलिज़न (टाईम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर २ ,२००९ .पृष्ठ २३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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