मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

पुस्तक समीक्षा :"वहत ऑन अर्थ इवोल्व्द "-क्रिस्टोफर लोइड .

क्रिस्टोफर लोइड ने एक किताब लिखी है -व्हाट ऑन अर्थ इवोल्व्द .यह पुस्तक प्रकाशित होकर आज तब आई है -जब ब्रितानी नेचुरलिस्ट (प्रकृति विज्ञानी ) चार्ल्स डार्विन की किताब "ओरिजिन आफ स्पीसिज़ के प्रकाशन को १५० बरस पूरे हो रहें हैं -डार्विन ने इवोलोश्नरी बाय लाजी की नींव रखी -बतलाया सभी जैव रूप यहीं पृथ्वी पर जन्मे फले फूले विकसे ,इनमे से जो जीव अपने को प्राकृत बलोंके अनुरूप ढाल सके वे कायम रहे जो ठूंठ की तरह अडे रहे प्रकृति नटी के संगीत पर थिरक नहीं सके ,वे स्मृति शेष हो गए .यहीं से पनपा "सर्व -श्रेष्ठ की उत्तरजीविता का सिंद्धांत "।
क्रितोफर लोइड अपनी किताब में हमारे ग्रह पृथ्वी का अब तक का इतिहास खंगालते हैं ,तमाम जैव -रूपों का जायजा लेतें हैं -किस्मे कितना है दम ?
श्रेष्ठता के सबसे ऊपरले पायदान पर पहुँचने के लिए लोइड तीन चीज़ों पर विचार करतें है -लोंजेविती (दीर्घ -जीविता ,आयु -सोपान ),जैव रूप का भौगोलिक बाहुल्य ,विकास क्रम में कायम रहने ,बने रहने की क्षमता (माद्दा ),सबसे एहम बात -किस जीव ने अपने मदर प्लेनेट को क्या दिया ,काल क्रम में कैसा प्रभाव छोडा जीवन के अनुरूप या अपने ही ग्रह के पर्यावरण -पारिश्थिति को नष्ट करने के इंतजामात किए ।
अव्वल रहा परोपकारी जीव -केंचुआ ,जिसने मिटटी की नमी को बनाए रखने के लिए किसान की तरह हल चलाया ,खेत की जुताई की ,मिटटी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में ख़ुद खाद बन गया यह नन्ना जीव रूप ।"ज्यों की त्यों रख दिनी चदरिया .."
अब पता चला है कुदरत का यह इंजिनियर जमीन के नीचे ड्रेनेज चेनेल भी बना रहा है -विश्व -व्यापी तापन के दुष्प्रभावों ,निचले इलाकों को जलसमाधि लेने से रोकने में केंचुआ एक एहम किरदार में होगा ।
आप जानतें हैं जलवायु -परिवर्तन का संकट कागजी नहीं हैं ,असली है ,जो महाद्वीपों की भोगोलिक सीमा में एक बड़ा फेर बदल कर सकता है ।
स्कोत्लेंद के विज्ञानियों को उम्मीद है -केंचुआ हमें इस संकट से निकाल सकता है ।
इन दिनों एस सी आर आई (क्रोप रिसर्च इंस्टिट्यूट ,डंडी )एवं मेकाले लैण्ड यूज़ रिसर्च इंस्टिट्यूट ,अबेरदीन पूरे स्कोत्लेंद में केंचुयों की अनुमानित पापुलेशन का जायजा ले रहें हैं ।
केंचुए ने पृथ्वी पर जीव रूपों के विनास की लीला पाँच मर्तबा देखी है ,मानव सभ्यता संस्कृति को बचाए रखने के लिए इसने अपना सर्वस्व होम दिया है .,प्लोइंग एंड फर्तिलाई -जिंग दा सोइल ।
जीवों की श्रेष्ठता के पायदान में सौ सीढियां हैं होमो -सेपियन ले देकर सिक्स्स्त (६) पायदान पर ही खडा हो सका है -फ़िर भी अपनी श्रेष्ठता का मुगालता पाले हुए है ,इस भ्रम में है एक दिन वह तमाम चाँद सितारों को अपना उपनिवेश बना लेगा .ख़ुद अपने ही ग्रह के हवा पानी मिटटी ,आकाश और पृथ्वी तत्व की तात्विकता को नष्ट करने पर आमादा है -आदमी ।
बामुश्किल हम पृथ्वी पर १६० ,०००सालो से हैं ,लेट कमर हैं ,केंचुआ गत ६० करोड़ सालों से सहजीवन बनाए हुए है पृथ्वी के संग -यही है -लिविंग टुगेदर ।
क्रितोफर कहतें हैं ख़ुद हमारी कायमी इन जीव रूपों से है -सर्व श्री केंचुआ ,श्रीमान एल्गी ,श्री -साइनो -बेक्टीरिया साहिब ,श्री राय -जोबिया और लेक्टो -बसाई -लस साहिब इसीलियें क्रितोफर ने एल्गी को श्रेष्ठता के दूसरे पायदान पर रखा है -जिसने अपने से इतर जैव रूपों को प्राण -वायु आक्सीजन मुहैया करवाई है ।
अन्य जैव रूपों को बनाए रखने में जीवाणु -साईं -नो -बेक्टीरिया ,राय -जोबिया ,और लेक्टो -बसाई -लस का भी कम योगदान नहीं रहा है ।
जो हो प्रकृति के यह अनोखे इतिहासकार रहें हैं -जिन्होंने विश्व -सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखा है .क्या हमारे अन्दर इतनी भी विनम्रता नहीं होनी चाहिए -थ्योरी आफ इंटेलिजेंट क्रिएशन को अन्तिम नमस्कार कहदें ?
सन्दर्भ सामिग्री :-अर्थ वोर्म्स पिप ह्युमेंस इन टॉप स्पीसिज़ 'लिस्ट (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर ५ ,२००९ ,पृष्ठ १५ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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