यूनिवर्सिटी कालिज लन्दन के छात्र कैंसर युक्त कोशिकाओं को लक्षित कर ,चुन -चुन कर मारने वाली नेनो -प्रोद्योगिकी के करीब पहुँचते दिखाई देतें हैं ।
ब्रितानी विज्ञानी लौह आक्साइड नेनो कणों का स्तेमाल नेनो -मेग्नेट्स के रूप में करते हुए एक ऐसी प्रोद्योगिकी विकसित कर रहें हैं जिसके तहत इन नन्ने चुम्बकों को जो एक मिलीमीटर के भी दस्लाख्वें भाग के बराबर आकार लियें होंगे कैंसर युक्त कोशिकाओं में पहुंचाया जाएगा .अब इन्हें एक माइक्रो वेव जैसी ही युक्ति से बस शरीर के तापमान से ५-६ सेल्सिअस ऊपर तक गर्म करके कैंसर युक्त कोशिका को (आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को बचाते हुए ) नस्ट कर दिया जायेगा .इस मशीन को "मेग्नेटिक आल्तार्नेतिंग करेंट हाई -पर -थर्मिया मशीन "कहा जा रहा है ।
यह कैंसर के इलाज़ का एक नायाब तरीका हो सकता है .असली सवाल अर्जुन की तरह बस मछली की आँख बींधना है ,यानी मेग्नेटिक नेनो पार्तिकिल्स को केंसर्कारी कोशिकाओं तक पहुंचाना है .,स्वस्थ कोशिकाओं को बचाए रखना हैं -तब ही इसे अन्तिम तार्गेतिद थिरेपी कहा जा सकेगा ।
सन्दर्भ सामिग्री :-नेनो पार्तिकिल्स एज मेग्नेट्स कें न हेल्प किल केंसर सेल्स (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर ७ ,२००९ .,पृष्ठ २१ ।)
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
बुधवार, 7 अक्तूबर 2009
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