सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

चिर -युवा बने रहने का नुस्खा ...

एक अध्धय्यन के तहत विज्ञानियों ने माइस और नर -वानरों की जीवन अवधि में इजाफा करने के तरीके खोज लिए हैं .तब क्या यह माना जाए -चिर -युवा बने रहने का नुस्खा ,लाइफ एलिक्सिर ,या फ़िर फाउन्टेन ऑफ़ लाइफ की खोज पूरी हुई ?
जो हो अमरत्व की कुंजी आनुवंशिक फेर बदल के हाथों में सुरक्षित है ,एक ऐसी हेर फेर जो केलोरी को घटाने से होने वालेस्वाश्थ्य लाभ , का अनुकरण करे ,उम्र की सौगात के रूप में मिलने वाले रोगों से निजात दिल -वा सके ,बुढापे के रोगों का पुख्ता इलाज़ भी मुहैया करवा सके ।
क्या विज्ञानियों ने इस दिशा में ही पहल की है ?जो हो आनुवंशिक विज्ञानियों ने यूनिवर्सिटी कालिज लन्दन में किए शोध के तहत अनुवांशिक संशोधन करके ऐसे माइस तैयार कियें हैं जो एक प्रोटीन "एस ६ कैनेज़ १ "पैदा ना करे ,यांनी एक जीन को सक्रीय ही ना होने दे ,निष्क्रिय बनी रहे एक जीन (जीवन ईकाई जो इस प्रोटीन के उत्पादन को करवाती है .).इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्दी एजिंग (यूनिवर्सिटी कालिज लन्दन ) के आनुवंशिक -विदों ने माइस की जीवन अवधि औसत उम्र के पाँचवे हिस्से के बराबर बढ़ाने के अलावा उम्र के साथ पैदा होने वाले रोगों से भी मुक्ति दिलवाने की युक्ति खोज ली है -जेनेटिक मेनिपुलेशन से ।
सिर्फ़ एस६ के १ को बाधित करके (यही प्रोटीन ग्रहण किए गए भोजन के अनुरूप शरीर क्रिया विज्ञानिक अनुक्रिया करवाती है )ऐसे माइस तैयार किए गए जिन्हें पूरी खुराक देने पर भी कम केलोरी खुराक का फायदा मिला .यु .एस .जर्नल साइंस में इस अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं .(कम केलोरी वाला भोजन हमें दीर्घ जीवी बनाता है -पिताजी कहा करते थे "आदमी खाने से मरता है ,ना खाने से नहीं ).अतिशय भोजन ओवर न्यूट्रीशन आज एक बड़ी समस्या बना हुआ है .भूख तो है ही .फ़िर भी भूख से मरने वाले उतने नहीं हैं (हमारा मंतव्य भूख को अलंकृत करना ग्लेम -राइज़ करना नहीं है ।)।
अध्धय्यन के मुखिया डोमिनिक विदर्स कहतें हैं "एस६ के१ को निष्क्रिय बनाने से फिमेल माइस कई उम्र सम्बन्धी रोगों से बचे रह सकतें हैं .आनुवंशिक रूप से संशोधित माइस की जीवन अवधि २० फीसद तक बढ़ गई सामान्य चूहों के बरक्स ।
सन्दर्भ सामिग्री :-इटरनल यूथ :जस्ट बाई ब्लोकिंग ऐ प्रोटीन ?(टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर ३ ,२००९ ,पृष्ठ २१ ।)
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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