रिअल टाइम -पोली -मरेज़चेन रिएक्शन (आर .टी .-पी.सी .आर ।) नाम दिया गया है -एच १ एन १ -नोवेल इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ ,जांच को .इसी जांच की बायो -सेफ्टी लेवल -३ प्रयोगशाला ,में जांच की सिफारिश बारहा की जा रही है .ऐसी प्रयोग शाला में जांच कर्ताओं की अधिकाधिक सुरक्षा के इंतजामात (इंजीनियरिंग एंड डिजाईन -इंग फीचर्स )मुस्तैद होतें हैं ,ताकि खतरनाक पेथोजंस (रोग कारकबेक्टीरिया ,विषाणु ,परजीवी ,इतर माइक्रो -ओर्गानिस्म )जांच कर्ताओं तक साँस के ज़रियेन पहुंचें ,किसी और तरीके से संक्रमित ना कर सकें .पूरा प्रोटेक्टिव गिअर उनकी हिफाज़त के लिए विज्ञानियों की देखरेख में तैयार किया जाता है ।
वायरस की मौजूदा किस्म (स्ट्रेन )एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ के लिए पाजिटिव नतीजे दिखलाएगी ,एच १ और एच ३ के लिए निगेटिव ।
इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ ,के लिएस्ट्रोंग रिएक्तिविती (प्रति -किर्यात्मक्ता की अधिक मौजूदगी )का मतलब होता है -एच १ एन १ संक्रमण की अधिकाधिक संभावना ।
जैसा आप जानतें हैं ,हमने बारहा बतलाया है ,जांच के लिए नाक और गले से स्वाबलिया जाता है यदि इसमें एच १ एन १ एन १ डी.एन .ऐ .मौजूद है ,पोली -मरेज़ -चेन -रिअक्शन उसे आवर्धित (एम्प्ली -फाई )कर देता है ।
इस रिएक्शन में थर-मल-साईं -किलिंग )का स्तेमाल किया जाता है ,यानी साम्पिल को बारहागर्म और ठंडा किया जाता है ,एक चक्र के तहत ।
जांच के तहतएच १ एन १ डी .एन .ऐ .के नॉन (ज्ञात )टुकडों ,तथा डी .एन .ऐ .पालिमरेज़ को संदिध साम्पिल के साथ रखा जाता है .इसीलिए इसे पालिमरेज़ चेन रिएक्शन कहा जाता है ।
एच १ एन १ डी .एन .ऐ .को जांच के दौरान मौजूद होने पर बारहा आवर्धित किया जाता है ।
जैसे जैसे पी .सी .आर .प्रतिकिर्या आगे बढती है ,पैदा डी .एन .ऐ टेम्पलेट का काम करता है .इसी का बारहा प्रतिरूप तैयार किया जाता है ,इसे रेप्लिकेशन कहतें हैं .यह आवर्धन जल्दी ही शिखर को छूकर अधिकतम हो जाता है .चार घंटों तक यह प्रकिर्या चलती है ,संपन्न होती है ,चार घंटों में .
होती है
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
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2 टिप्पणियां:
आप तथा आपके परिवार को जन्माष्टमी तथा स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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