कोई सात साल पहले नेब्रास्का -लिंकन विश्वविद्दालय के विज्ञानियोंने यह प्रागुक्ति की थी -वायुमंडल में बढ़ता कार्बन -डाई-आक्साइड का ज़माव गेहूं जैसी मुख्य फसल में से पुष्टिकर तत्व ले उड़ सकता है .आज उनकी यह आशंका सही साबित हो रही है .हमारे खाद्दय की गुणवत्ता सवालों के घेरे में आने लगी है ।
तीन साला अध्धयन में विज्ञानियों ने गेहूं की बढवार के दरमियान उतनी ही अतिरिक्त मात्रा ग्रीन -हाउस गैस कार्बन आक्साइड की फसली क्षेत्र पर प्रवाहित की जितनी २०५० तक बढ़कर हो जाने की भविष्य वाणी कंप्यूटर -सिमुलेशन कर चुका है .पता चला -गेहूं के दानों से ८फ़ीसद लोह तत्व (आयरन )कम हो गया है जबकि लैड की मात्रा १२ फीसद बढ़ गई है ।
अलावा इसके ज़रूरी अमीनो -अम्ल ,प्रोटीनों के संग कमतर हो गए हैं .दुनिया की आधी आबादी लोह तत्व की कमी से जूझ रही है ,जिसमें और भी इजाफा हो सकता है .और तो और बच्चों की बढवार के लिए आवश्यक अमीनो -एसिड्स भी गेहूं के दानों में कम पाये गए हैं .दाने भी प्रति एकड़ कम निकले हैं ।
न्यू -साइंटिस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ़ नाइट्रोजन -खाद की मात्रा बढ़ाने से कुछ नहीं होने वाला ।
प्रोटीन की कमी बनी रहेगी ।
बढ़ी हुई ग्रीन हाउस गैस के दुष्प्रभाव गेहूं की फसल तक ही सीमित नहीं रहें हैं -पशु खाद्दय ,यहाँ तक ,कार्बन -प्रेरित बदलाव यूकेलिप्टस भी दर्शा रहा है -ज्यादा -प्रतिरक्षी (डिफेंसिव -केमिकल्स बनाकर ) रसायन बना कर .
मंगलवार, 18 अगस्त 2009
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