शनिवार, 8 अगस्त 2009

हल्ला हल्ला मच रहा बीमार ,क्या आप भी बीमार हो ?

हर शक्श दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़ ,फ़िर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले .-बेहद मौजूं हैं ये पंक्तियाँ फ्लू -परिदृश्य पर ,उस गफलत ,अफरा तफरी और कुहराम पर जो इधर एच १एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस को लेकर मचा हुआ है .मेट्रो का सफर हो या मुंबई की लोकल हर शक्श डर रहा है ,पड़ोसी की छींक से .यहाँ छीकना मना है ,आपका बगलिया मुसाफिर उठ कर चल देगा .केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री कहतें हैं ,हमारे पास दवा की (तेमिफ्लू )की साठ लाख खुराकें हैं ,गोल्ड स्टैण्डर्ड टेस्ट -रिअल टाइम पी.सी .आर .(पोलिमरेज़ चेन रिएक्शन )के लिए इतना सारा रिएजेंट है जिस से १ करोड़संदिग्ध मामलों की जांच हो सकती है .ज़रूरत पड़ी तो दवा की खुली बिक्री भी होगी .निजी अस्पतालों को बायो -सेफ्टी लेवल -२ उपलब्ध होने पर जांच के लिए खोल दिया जाएगा .हुज़ूर देर किस बात की है ,जल्दी कीजिये आशंका और अनिश्चय का कोई और छोर नहीं होता ,आशंका और फोबिया बिना पंख का पक्षी है .इसके पर काटने ,परकेच बनाने का यही वक्त है ।
बेशक भारतीय चिकित्सा परिषद् का ये खुलासा आश्वस्त करता है :संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वालों को सेकेंडरी इन्फेक्शन (मरीज से अन्यों को फ्लू होने )की दर वर्तमान आंकडों के मुताबिक मात्र १० फीसदी है .मेक्सिको से चला ये नया विषाणु भारत आते आते उतना खतरनाक नहीं रह गया है .बीमारी से ज्यादा बीमारी का खौफ लोगों के दिलो -दिमाग पर बरपा है ."हल्ला - हल्ला मच रहा बीमार हो ,क्या आप भी बीमार हो ?".रोके रखना छींक भैया -आपको करियर ,वेक्टर मान लिया जाएगा -एडिस एजिप्टी सा .डेंगू मच्छर सा ।
पूछा जा सकता है -आप नाहक अस्पताल की लम्बी कतारों में क्यों लग रहें हैं .मौसम की तासीर बदल के संग जुकाम की सौगात बिना बताये ,बिन मांगे मिलती है ,ज़रूरी नहीं है ये फ्लू ही हो नै ढाल का ,मौसमी भी हो सकता है ,अपने फेमली डाक्टर पर भरोसा रखिये ,नाहक अस्पताल के फेरे आपको गले पड़ जायेंगे ,एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा का मरीज सच मुच लाइन में आपके आगे पीछे हो सकता है .आ बैल मुझे मार वाली बात हो जायेगी ।
अलबता उन नौनिहालों को हर हाल बचाइये जो पहले ही बेक्तिरिअल नुमोनिया ,वायरल नुमोनिया की ज़द में चल रहें हैं .दिल्ली की गंधातीफिजा में ,हवा -पानी में जिनका दम फूल रहा -चाइल्ड हुड एस्मा की गिरिफ्त में हैं जो बचपन से ।
लेकिन यदि आपके डाक्टर को आपके असर ग्रस्त होने का शक है ,और सरकारी या फ़िर अधिकृत गैर सरकारी अस्पताल में आप नमूना दे आयें हैं रक्त जांच के वास्ते ,तब एहतियातन अपनघर केएक अलग कमरे में रहिये .तीन परतों वाला या फ़िर ९५ फीसद सुरक्षा प्रदान करने वाला एन -९५ मास्क ही पहनिए ,इसकी पोली -प्रो -पाई -लीं रेशों से बनी परतों पर स्थाई विद्दयुत आवेश है ,जो ,अति -सूक्ष्म कणों से बंधे विषाणुओं को रोक लेता है छान बाहर कर देता है .,अलबता छींकते वक्त इसे पहने रखिये ,नम होने पर बदल दीजिये ,सावधानी पूर्वक बाहर की तरफ़ से पकड़ कर वेस्ट -बिन के हवाले कर ठीक से हाथ धो लीजिये .तीमारदारों के संपर्क में कमसे कम रहिये .बचाव ही सबसे ज्यादा असरकारी चिकित्सा है .रुमाल या हाथों से मुह को ढक कर मत छीन्किये ,कमरे को धुलवाते रहिये ,विसंक्रिमित रखिये .बारहा हाथ धोते रहिये .जांच नतीजा पाजिटिव आने पर दवा का (तेमिफ्लू )
नियम निष्ठ सेवन कीजिये ,कोर्स पूरा कीजिये .आप सौ फीसद ठीक हो जायेंगे ,मारक लापरवाही है ,फ्लू नहीं .इससे ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो रहा है इन दिनों दिमागी मलेरिया (सेरिब्रल मलेरिया ),जो दिमाग को असरग्रस्त कर गफलत पैदा करता है ,उन्नींदा पन औ मतिभ्रम पैदा करता है .बिहार के मुंगेर जिले के उपखंड (सब -डिविज़न )हवेली खरगपुर के ९० गाँवों को असर ग्रस्त बना चुका है -सेरिब्रल मलेरिया .जुलाई

२४ से अब तक अधिकृत तौर पर ६ तथा गैर -अधकृत तौर पर ३० लोग इसका ग्रास बन चुकें हैं .जबकि इस नए -फ्लू का ग्रास एक आसामी रिदा शैख़ बनीं हैं ,वो भी गफलत और नादानी के चलते ,स्वभाव गत लालच के चलते ,शायद .अलबत्ता १० -१४ साला रिदाओं को ही फ्लू का ख़तरा ज्यादा है ,बकौल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् .इन नौनिहालों को भीड़ भरे स्थानों से बचाइये .बचाव में ही बचाव है .ॐ शान्ति .














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