मौखिक परम्परा औ प्राचीन भारतीय मिथकों में ,वेद-पुरानों में खासकर ऋग्वेद में समुन्द्र मंथन के सन्दर्भ में कामधेनु के संग ,कल्पवृक्ष का भी ज़िक्र आया है .हर मन्नत पूरी होती है ,इस वृक्ष के अर्चन -पूजन से एक मिथक ,जन विश्वाश यह भी चला आया है ।
अलबत्ता एक पतझड़ी ,लम्बी टहनी ,औ फलदाई बेहद के मोटे तने(आधार )वाला वृक्ष है कल्पवृक्ष जो दक्षिणी -अफ्रिका ,उत्तर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है ।
कल्पवृक्ष का वानस्पतिक नाम -बाओबाबभी है ,आदन-सानिया-डिजिट -अटा भी है .इसीलिए शायद इसे दैवीय कहा जाता है क्योंकि यह एक परोपकारी मेडीस्नल-प्लांट है ,औषध विज्ञानिक पादप है ,दवा देने वाला वृक्ष है -जिसकी पत्ती रूखी भी खाई जाती हैं ,पानी में उबाल कर भी ।
विटमिन -सी का खजाना है कल्पवृक्ष जिसमें संतरे से ६ गुना ज्यादा विटमिन -सी मौजूद है ।
रामबाण समझा जाने वाला गाय का दूध जितना केल्सिं -यम् मुहैया कराता है ,कल्पवृक्ष उससे दोगुना ज्यादा ।
शरबत औ केंदीज़ ,मिठाइयां तैयार की जातीं है दुनिया भर में इस वृक्ष से ।
इस वृक्ष की औसत जीवन अवधि २५००-३,००० साल है .कार्बन डेटिंग के ज़रिये सबसे पुराने फस्ट टाइमर की उम्र ६,००० साल आंकी गई है ।
सूखे का ,रोगकारकों का डट कर मुकाबला करता है ,कल्पवृक्ष ।कमखर्च बालानशीन -कम पानी में फलता फूलता हैं -कल्प वृक्ष .
नारियल के आकार का फल दादी के बटुए (थैली )सा लटका रहता है .पुष्टिकर तत्त्वों से भरपूर हैं इसकी पट्टियां (लीव्स )औ शरबत (जूस )।
कीट पतंग औ पशु दूर छिटक तें हैं इस वृक्ष से ।
कहतें हैं कई सौ साल पहले मुस्लिम सौदागर दक्षिण अफ्रिका से भारत लाये थे इस वृक्ष को ।
दिल्ली में ले देकर तीन कल्प वृक्ष बचें हैं ,सड़कों को फेला लो ,फ्लाई ओवर बना लो या फ़िर वृक्षों को सींच लो ,अब जाकर चेती है पर्यावरण विभाग ।
कल्प वृक्ष के रोपण का फैसला कर लिया गया है .आकाश कुसुम तोडेगा कल्प वृक्ष ,यह ७० फीट ऊंची मीनारों को बौना साबित कर सकता है ,तने का व्यास ३५ फीट तक हो सकता है ।
१५० फीट तक इसके तने का घेरा नापा गया है ।
दक्षिणी अफ्रिका में एक ऐसा कल्पवृक्ष हैंजिसके अन्दर बाकायदा एक शराब घर (पब )चलता हैंकहतें हैं कल तक एक कारावास भी कल्प वृक्ष के तलघर में (बेसमेंट )में चलता था ।
पानी के भण्डारण के लिए इसे काम में लिया जा सकता हैं ,क्योंकि यह अन्दर से (वयस्क पेड़ )खोखला हो जाता हैं .पतझड़ में इसके सारे पत्ते झड़ जातें हैं ।
पेड़ एक फायदे अनेक -फाइबर ही नहीं (रेशे ),रंगरेज की रंजक (डाई )भी बनता हैं कल्पवृक्ष .इसका तेल भी निकाला जाता हैं ,चीज़ों को सान्द्र (थिक्केनिंग एजेंट )बनाने के लियें भी इसका स्तेमाल होता हैं .दक्षिण अफ्रीकी आज भी इसके लम्बोदर (ट्रंक )का स्तेमाल वर्षा जल के संरक्षण भण्डारण के लिए ,एक्वीफाय्यार्स की रीचार्जिंग के लिए कर रहें हैं .
कर लो दुनिया मुठ्ठी में लगालो कल्पवृक्ष -महा काल के हाथ पर गुल होतें हैं पेड़ ,सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ .
रविवार, 30 अगस्त 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें