हो सकता है पाँच सौ के नोटों की तरह एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा की जो स्ट्रेन भारत पहुँची है ,वह नकली हो .और असली भी है तो दुनिया भर की जानकारी ,दवाएं रेलेंज़ा और तेमिफ्लू हमारी झोली में हैं ।
(१ )आलमी स्तर(ग्लोबल लेवल )पर एच १ एन १ के दो लाख मामलों के पीछे सिर्फ़ १९०० मौतें होती हैं ,यानि एक लाख के पीछे ९५० और १०० के पीछे १ से भी कम क्योंकि कितने ही मामले तो दर्ज ही नहीं होतें .कई मर्तबा मौत की वजह पहले से ही चली आ रही कोई बीमारी,जीवन शैली रोग (मधुमेह ,हाई -पर -टेंशन ,दिल की बीमारियाँ ,श्वसन सम्बन्धी तकलीफें )बन जातें हैं .नाम बदनाम होता है ,एच १ एन १ फ्लू का .बेशक इस नए किस्म के फ्लू को एक विश्व मारी (पेंदेमिक )घोषित किया जा चुका है ,लेकिन भारत में यह उतना मारक नहीं रह गया है ,हल्का है .पेनिक -देमिक (दहशत -ज़दा)ज्यादा है ,विश्वमारी कम .क्योंकि यहाँ तो तपेदिक से ३.५ फीसद ,श्वसन सम्बन्धी दिक्कतों से और भी ज्यादा ११ फीसद लोग मौत के मुह में चले जातें हैं ।
(२ )बेशक स्वां फ्लू होने पर आप को लगातार बुखार बना रहता है ,नाक बहती रहती है ,बदन दर्द ज्यादा रहता है ,आम कोल्ड और मौसमी फ्लू की बनिस्पत ,कुछेक को उलटी -दस्त जकड लेतें हैं ,गले में दर्द बना रहता है ,लेकिन ज्यादा तर मामलों में डाक्टरी मदद से आप हफ्ता भर में दवा -दारु के बाद रोग मुक्त हो जातें हैं .कुछ ही मामले लोवर -रेस -पैरेत्री -इन्फेक्शन (निचले -श्वशन क्षेत्र के संक्रमण )के सामने आतें हैं ,जो ज्यादा तवज्जो मांगते हैं ,लेकिन तवज्जों मिलने पर ठीक भी हो जातें हैं .मलेरिया और जीवन शैली रोग केंसर से तो आप की जान पे ही बन आती है ,पार्श्व प्रभाव केमो -थिरेपी के कष्ट -दाई होतें हैं .यूँ बीमारी तो बीमारी है ,अच्छी कोई भी नहीं होती ।(३ )जौंदिस ,पीलिया या हिपे -ताई -तिस ऐ ,बी .सी .या फ़िर मियादी बुखार की तरह लंबा नहीं खिचता है ,स्वां फ्लू का इलाज़ .ज्यादातर मामलों में ५ -७ दिनों में रोग से छुटकारा मिल जाता है .टेमी फ्लू रोग से १ -२ दिन पूर्व ही छुट्टी दिलवा सकती है .अलबत्ता आप को अकेले रहकर (सेल्फ -क्वारेंताइन में )आराम करने ,वर्तमान को खंगालने ,जीवन की गुणवता पर विचार करने ,कैसा जीवन आप जी रहें सोचने विचारने का मौका मुहैया करवाता है ये एकांत .पीने को खूब पानी और अन्य पेय आपके लियें हाज़िर रहतें हैं .कोई चिंता नहीं रोज़मर्रा की चिल्ल -पौन की .
(४)एक बार फ्लू हो जाने पर आप का रोग रोधी तंत्र आइन्दा रोग का मुकाबला करने ,रोग को मार भगाने के काबिल हो जाता है .ठीक २४ घंटे बाद रोग -मुक्ति के ,यानी संक्रमण लगने के ८वे रोज़ आप अपनी दिनचर्या में शामिल हो जातें हैं .रोग सिरे से गायब होता है .(५)पैनिक -डेमिक यानी दहशत -ज़दा होने पर आप अस्पताल का रुख करतें है -गाहे बगाहे ,बिला वज़ह और सच -मुच के एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा की लपेट -चपेट में तो आ ही जातें हैं ,पहले ही से तंग हाल चिकित्सा तंत्र को और तंग -हाल बनाने लागतें हैं .इसीलिए खौफ छोड़ सिर्फ़ साव धानी बरतिए .
बुधवार, 12 अगस्त 2009
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