समाज का संरचनात्मक ढांचा कुछ ऐसा रहा ,जिसमें सिर्फ़ मर्दों को छूट थी -सुट्टा लगाने की ,बीडी -सिगरेट -हुक्का पीने . की .वक्त ने करवट ली ,सिगरेट बीडी ,गुटखा पान पर -आग औरत के भी हाथ में आ गई -आजाद ख़याल औरतें सरे आम सुट्टा लगाने लगीं -गरीब तबके में इस की वजह जुदा रही -एक हुक्का सब का सांझा ।
डब्लिन में जारी टोबेको एटलस के तीसरे संस्करण ,जिसे अमेरिकन केंसर सोसायटी के संग वर्ल्ड लंग फौन्डेशनने जारी किया ,के मुताबिक अब १ करोड़ १९ लाख हिन्दुस्तानी औरतें किसी न किसी विध तम्बाकू का सेवन कर रहीं हैं -इनमें से बीडी सिगरेट हुक्का पीने वाली ५४ लाख हैं ,शेष खेनी गुटखा आदि चबातीं हैं .सिर्फ़ अमरीकी औ चीनी महिलायें हिन्दुस्तान की मौतार्माओं से धूम्रपान के मामले में आगे हैं ।
एटलस के अनुसार २०१० तक आलमी स्तरपर ६० लाख धूम्र्पानी मौत के मुह में चले जायेंगे ,इनमें से २० लाख की मौत धूम्रपान से पैदा केंसर से हो जायेगी ।
दुर्भाग्य यह भी है ,२५ फीसद धूम्र पानी भरी जवानी या तो इस दुनिया से ही कूच कर जायेंगे या गंभीर रूप से बीमार हो जायेंगे ।
अभी तक मर्दों में यह शौक यह गंभीर लत ज्यादा थी ,मौत की निवाला भी वही ज्यादा बन रहे थे .अब औरतें भी इस मृत्यु -पर्व में ज्यादा से ज्यादा शरीक हो रहीं हैं ,बेशक फिलवक्त कुल जमा २० फीसद से भी कम भारतीय महिलायें तम्बाकू की गिरिफ्त में हैं ,लेकिन परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है -इस मामले में जेंडर -गेप कम हो रहा है ।
जवान औरतें इस लत की गिरिफ्त में लगातार आ रहीं हैं -इस बात से बेखबर -औरतों में धूम्र पान की लत ओवम (एग्ग ) की गुणवत्ता पर ही नहीं -गर्भ में पल रहे नन्ने जीव को भी जन्म पूर्व विकृतियों ,जन्म के समय कमतर वजन ,३६ हफ्ता या और भी समय से पूर्व प्रसव आदि गड़बडियों से असर ग्रस्त बनाती है ।
मर्द का स्पर्म काउंट तो कम होता ही था ,स्पर्म की मोतिलिटी (वेलोसिटी इन ऐ यूनिट फील्ड )हूमें -एन एग्ग से मिलने की तेज़ी औ उतावली भी असर ग्रस्त होती थी धूम्रपान से .अब औरत भी मर्द -बाँझ की राह पर चल पड़ी है ।
केंसर को सरे आम निमंत्रण -डा -इटिंग प्लान में भी स्मोकिंग ,ऊपर से खुसबू दार पान पर -आग .सावधान पेस्सिव स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है -परिवार से हट के धुआं उगलिए ,साइड स्ट्रीम औ सेकंडरी स्मोक भी उतना ही खतरनाक है -कमसे कम अपने नौनिहालों का तो ख़याल रखिये -बेड रूम से बाहर छत पर या खुले में जाकर धूम्र पान कीजिये -आपका एक पारिवारिक औ सामाजिक दायित्व भी तो है .क्या हक़ हासिल है आपको -आप किसी औ का माहौल ,हवा पानी ख़राब करें ।
दुर्भाग्य इस देश का एक तम्बाकू लाबी संसद में भी है .लाख बुरे थे रामो -दासा सिगरेट -शराब के हिमायती नहीं थे ।
पश्चिम की नक़ल करनी है ,इस मामले में करो -ज्यादा तर लोग ,युवा -भीड़ वहाँ धूम्र पान से छिटक रही है ,हम विज्ञापन का ग्रास बन रहें हैं -पश्चिम के तम्बाकू निगम हमारी युवा भीड़ से मुखातिब हैं ,भरमा रहें हैं ,हमें मुगालते में रहने की उतरन पहनने की हमारी लाइलाज आदत है ?
शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
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