बुधवार, 12 अगस्त 2009

कामन कोल्ड ,आम फ्लू और स्वां फ्लू में भेद कैसे करें ?

लक्षण तो तीनों के यकसां हैं ,लेकिन स्वां फ्लू में बुखार का बना रहना ,नाक का बहना ,कई मर्तबा उलटी -दस्त का होना भी जारी रहता है .बदन दर्द और सर दर्द की तीव्रता भी ज्यादा होती .यानी लक्षण तमाम वाही लेकिन उग्र ,बेचैनी ज्यादा ।
स्वां -इन फ्लू का संक्रमण तेज़ होने पर (लापरवाही के चलते ,बिना इलाज़ के )ऊपरी श्वसनी क्षेत्र से निचले श्वसनी क्षेत्र तक पहुँच जाता है .यानी फेफडों तक ,गहरे .यही रोग की खतरनाक स्तिथि है ,रेस -पाई -रेत्री डिस्ट्रेस है ,जब साँस की दिक्कत बढ़ने पर वेंटिलेटर पर मरीज़ को रखना पड़ सकता है ।
अलबत्ता तीनो में से किसी की भी चपेट में आने पर खूब पानी और अन्य पेय पदार्थ लें ,गर्म पेय मुफीद रहतें हैं ,हाटसूप (खट्टा ना हो ) कई तरह का उपलब्ध है .अलबत्ता ठंडे का मोह छोड़ दें .पूरी नींद लें ,दो दिन मुकम्मिल आराम करें .यदि आराम करने दो दिन पैरा -सीता -मोल लेने के बाद भी उक्त लक्षण उग्र बने रहें तो आगे बढ़के अपने पारिवारिक डॉक्टर की बात मानें .जहाँ वे जांच के लिए भेजना मुनासिब समझें आप निस -संकोच जाएँ ।साँस लेने में दिक्कत है ,तो उसकी ज़रा भी अनदेखी ना करें .यह राईस -पाई रेत्री डिस्ट्रेस हो सकती है ,जो उन लोगों के लिए जान लेवा सिद्ध हो सकती है जो ,पहले से ही जीवन शैली -रोग की चपेट में हैं .

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