ताइवान में संपन्न एक अध्धय्यन में पता चला है ,धूम्र्पानियों के लिए एक्टिव -टुबेर्कुलोसिस(सक्रीय तपेदिक )का ख़तरा बढ़कर दोगुना हो जाता है .दरअसल तपेदिक का जीवाणु सालों साल हमारे शरीर में सुप्तावस्था में (निष्किरय )पडा रहता है .धूम्रपान इसे जगा देता है ,एक्टिवेट कर देता है ।
ताइवान में १८,००० लोगों पर यह अध्धय्यन किया गया ,जिसमें आम लोगों को शरीक किया गया .पूरे तीन साल चला यह अध्धय्यन ।
गैर धूम्र पानियों के बरक्स धूम्र्पानियों में एक्टिव -टुबेर्कुलोसिस का ख़तरा दोगुना पाया गया ,ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल ,बोस्टन ने यह नतीजे प्रकाशित कियें हैं ।
धूम्र पानियों का रोगरोधी कुदरती तंत्र घुसपैठिया विषाणु और जीवाणुओं का ठीकसे मुकाबला नहीं कर पाताहै .ऐसे में फेफडे अरक्षित रह जातें हैं .अब आप सोच लीजिये -कितना प्यार करतें हैं ,आप ख़ुद से ,"उन से जो आप के अपने हैं ."?
मंगलवार, 25 अगस्त 2009
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