कुछ लोग सोते वक्त बेहद खर्राटे लेतें है ,जो ना सिर्फ़ विदेशों में तलाक की वजह बनता है ,और अब मौत से भी रिश्ता जोड़ता दिखता है .गंभीर किस्म का नींद के दौरान साँस -अवरोध ४६ फीसद मामलों में अकाली मृत्यु की वजह बन रहा है .अलबता इस मौत की जुदा जुदा वजहें हो सकतीं हैं .४० -७० साला लोगों के लियें यह गंभीर किस्म एप्निया की मौत की वजह ज्यादा बन सकती है .जोन हाप -किंसविश्व्विद्द्य्लय (बाल्टीमोर )के नरेश पंजाबी ऐसा मानतें हैं ।
नींद -स्वांस -रोध (स्लीप एप्निया ) उपरी श्वष्ण मार्ग का नींद के दौरान ठप्प पड़ जाना है .कोलेप्स हो जाना है .ज़ोर -ज़ोर से खर्राटे आना इसका एक लक्षण मात्र हो सकता है ,लेकिन नींद के दरमियान श्वांस -रोध सात घंटा नींद के दौरान ३० या ज्यादा बार हो सकता है .यह आपकी उम्र पर निर्भर करेगा ।
नींद अवरोध का सम्बन्ध मोटापे से भी है ,उच्च -रक्त चाप ,हार्ट फेलियोर और स्ट्रोक भी इसकी वजह बनता है ।
लेकिन मौत की संभावना किसकी कितनी है ,इसका कोई निश्चय नहीं ।
अलबता नींद के दौरान श्वांस का रुकना ही स्लीप एप्निया कहलाता है .यह साँस -रोध कमसे कम १० सेकिंड बना रहता है .और जैसा ऊपर बतला चुकें हैं ३० या उससे और भी ज्यादा दफा ७ घंटा की नींद के दौरान दर्ज किया गया है .बुढापे में यह और भी ज्यादा हो जाता है ।
आब्स -ट्रक तिव -एप्निया में उपरी श्वशन मार्ग में अवरोध की वजह से व्यक्ति साँस लेने की कोशिश तो कर रहा होता है ,लेकिन कामयाब नहीं रहता .
सेंट्रल एप्निया में श्वसनी पेशी काम करना बंद कर देती है .एब्सेंस आफ रेस्पाई -रेत्रीmuscle एक्टिविटी इसकी वजह बनती है ।
मिस्र नींद -रोध में दोनों की आगे पीछे मिली भगत होती है ,पहले एब्सेंस आफ रेस्पाई -रेत्री muscle -एक्टिविटी और फ़िर उपरी श्व्ष्ण मार्ग का रुद्ध होना .कई लोग दिन में भी बैठे बैठे खर्राटे भरतें हैं,हाइपो -थाई -रोइड के मरीज़ ऐसा करते देखेजा सकतें हैं ,उम्र का अपना हिसाब है .वैसे एक नाम वर शायर कह गएँ हैं :मौत का एक दिन मु -ईयन है ,नींद क्यों रात भर नहीं आती .इसलिए घोडे क्या घुड़ शाला बेच कर सोइए .राम -राम .
बुधवार, 19 अगस्त 2009
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