बुधवार, 12 अगस्त 2009

स्वां फ्लू का डंक निकाला भारतीय कंप्यूटर -विज्ञानी भटकर ने .

पुणे से ये ब्लॉग लिखे जाने के वक्त तक स्वां -इन फ्लू से १० मौतें हो चुकी हैं ,अब वहीं से एक अच्छी ख़बर आई है .भारत का पहला सुपर -कंप्यूटर तैयार करने वाले कंप्यूटर विज्ञानी ने काओ-कोलेस्त्र्म (काऊ कोलेस्त्रम ) से एच १ एन १ का मुकाबला करने में सक्षम ,फ्लू -प्रतिरोधी केप्सूल तैयार कर लिया है ,जिसे विश्व -स्वास्थ्य संगठन ने भी बचावी चिकित्सा के बतौर प्रभावी बतलाया है .अलबत्ता जो स्वां फ्लू की चपेट में आ ही चुकें हैं ,उनेह तजवीज़ की गई दवा -तेमिफ्लू के संग -संग १० दिन तक तीन केप्सूलरोजाना खाने होंगे जिन्हें गाय के बच्चा जनने के बाद के पहले दूध को सुखाकर दुग्ध -चूर्ण से तैयार किया गया है ।इससे रोग की मारक शक्ति कम होगी .
ये वही डॉक्टर भटकर हैं जिन्होंने देश का पहला सुपर -कंप्यूटर "परम "तैयार किया था .काऊ -कोलेस्त्र्म माँ के पहले दूध ,बच्चा जन -ने के बाद के पहले दूध की तरह रोग -रोधी टीके की तरह असरकारी है .अब माँ के दूध में वो ताकत क्या कई मर्तबा दूध ही नहीं उतरता है ,जीवन शैली रोगों के चलते ,गाय भी पोलिथीन का ग्रास बन रहीं हैं .जबकि माँ का दूध आज भी पहला -इममू -नाइ -जेशन है ,टीका-करन है .फैसला आप पर है ,आप कैसी जीवन शैली अपनातें हैं ,प्रकृति के कितने नजदीक रहतें हैं .

1 टिप्पणी:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप अपने ब्लाग पर महत्वपूर्ण सूचनाएँ दे रहे हैं.
पर यह वर्ड वेरीफिकेशन हटाएँ। टिप्पणी में परेशानी होती है। कई बार पहले लौट कर जा चुका हूँ।