"फार ऐ .कामन कॉज "शीर्षक से पूर्व -केन्द्रीय मंत्री ,आधुनिक समाज के मुखर पैरोकार ज़नाब आरिफ मोहम्मद खान साहिब का अग्रलेख टाइम्स आफ इंडिया (अगस्त १९,२००९ )में छपा है .आलेख की समीक्षा तमाम ब्लोगार्थियों की टिप्पणियों के लियें यहाँ प्रस्तुत है ,क्योंकि विषय वृहत्तर भारत धर्मी समाज से तालुक्क रखता है ।
नागर -कानूनों में पारिवारिक कानून (फेमिली -ला ) सर्वोपरि रहा है ,औ इस्लाम ने इसके तक़रीबन सभी पहलुओं के मद्दे नज़र इसे आम औ ख़ास के लिए tazveez किया thaa ,कथित "मुस्लिम पर्सनल ला "ने इसकी मनमानी व्याख्या कर इसे वीरुप्ताओं -विकृतियों से संसिक्त कर दिया -आरिफ मोहम्मद खान ।
शरीअत के नाम पर ,शरीअत की आड़ में ,इसे लागू करना ना समाज के हित में है औ ना ही यह जीवन के तमाम पहलुओं को छूता समेटता है ,अपने कलेवर में ।
यह टिपण्णी किसी और ने नहीं स्वय्यम आगे बढ़कर जमात इस्लामी के उदार मना तरक्की पसंद विचारक मौलाना मदूदी साहिब ने की है ।
ला कमीशन की २७७वी रिपोर्ट से भला किसे ना -इत्तेफाक हो सकता है ,कौन एहतराज़ कर सकता इस प्रेक्षण आब्ज़र्वेशन पर -बैगेमी (दूसरी पत्नी के मुताल्लिक मुस्लिम पर्सनल ला की राय पर ) पर कीयह सही arthon में इस्लाम का nazariaa नहीं है . मुस्लिम पर्सनल ला की अपनी khapat है ,मनमानी है ।
हिन्दुओं को aagaah किया है ,chetaayaa है ,ला kamishan ने :इसकी आड़ लेकर वह चाँद मोहम्मद औ feezaa banne की aaindaa कोशिश ना करें ,लेकिन मुस्लिम bhaaiyon के लिए medaan khulaa छोड़ दिया gayaa है .क्यों ?
kyaa tushtikaran aade aataa है ,yaa समाज में balvaa होने का डर है ,यह कैसे हो सकता है ,एक ही मसला समाज के एक tabke के लिए samvedi batlaayaa जाए औ दूसरे के लिए naheen ,यदि pahli byaahtaa के पत्नी के होते दूसरी को लाना hindoo समाज को तोड़ने वाली सह है to यही मसला मुस्लिम समाज के लिए todak औ समाज को pichhe ले जाने वाला क्यों नहीं है .-आरिफ साहिब ।
kyaa यह doglaimansiktaa , doglaa pan हमें शोभा detaa है .?इसी कथित samvedan -sheeltaa की आड़ लेकर एक मुस्लिम lekhikaa को bharteey vizaa देने से भारत sarkaar ,leftiyon की (रक्त -rangiyon की sarkaar ) katraati रही है .shahbano के साथ भी naainsaafi हो चुकी है ।
आपको batlaaden -यही आरिफ मोहम्मद khan साहिब थे jinhone शाह bano को उसका hak dilvaane के mudde पर केन्द्रीय मंत्री mandal से stifaa दे दिया thaa .लेकिन तरक्की पसंद लोग सरकारों को रास नहीं aaten ,sarkaaren mooltay ,बे -imaan होती है ,कथित लोक kalyaan का odhnaa odhe रहती हैं .हाथी के दांत खाने के और dikhaane के और ।
मौलाना maudoodi साहिब दो took kahten हैं :बड़ा ahit किया है इस मुस्लिम पर्सनल ला ने ,कोई घर परिवार ही musalmaanon में aisaa hogaa जो इसकी मार से bachaa हो ।
zaahir है -वृहत्तर मुस्लिम समाज को roshni में आने की jyadaa ज़रूरत है .kuraan की mansaa को ठीक से samjhaa नहीं gayaa है -दूसरी पत्नी क्यों और कब ?saaf saaf batlaayaa gyaa है ।
oohud की लड़ाई के वक्त kuraan की दो aayten (varsiz ४.२-३ )बहु पत्नी prathaa का ख़ास sandarbhon में zikr kartin हैं .इस लड़ाई में madinaa में बड़े paimaane पर tabaahi हुई थी -anaath और bevaaon(widows ) की tadaad उस badkismat दौर में समाज का dasvaan hissa बन chukaa thaa .इसी mansaa से इन्हें gharondaa muhaiyaa करवाने के लियें -paali -gemi का praavdhaan रखा gyaa ।
यह एक apvaad thaa samajik niyam नहीं .bilkulsaaf है यह बात .यह कदम war widows के kalyaan punarvaas के लिए thaa न की aiyaashi के लिए ,।
kaaynaat के srishthi के aarambh से kuraan -मर्द और उसकी beebi (janaani )की बात करती है .मन and his wife की बात करती है ,आदमी और उसकी औरत का zikr करती है ,आदमी और उसकी beeviyon ,rakhelon का kahin zikr नहीं है .इन fact अ positive command it says "marry those among you who are single "(२४.३२ ).गोद has not made फॉर any मन two hearts इन his one body (३३.४ ) ।
kuran सच की andekhi करने के ख़िलाफ़ है .आम राय की आड़ लेकर आप अपने vote बैंक से कब तक mukhaatib रह sakten हैं ।?
were you to follow दा common run ऑफ़ those on earth ,they will lead you away from दा path ऑफ़ गोद (६.११६)masihaai अंदाज़ में ibne maazaa इसकी tasdeek karten हैं ."लेट no one humiliate himself .when asked how does one humiliate himself ?दा Prophet said:"when someone sees an occasion to speak फॉर दा sek ऑफ़ गोद ,but does not " faislaa आप पर है -kuran औ मुस्लिम पर्सनल ला के barax अपनी राय likhiye ज़नाब .
1 टिप्पणी:
अच्छा लेख!
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ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
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