बे शक भारत में खबरिया चेनलों के सर पे चढ़े स्वां -इन फ्लू के लिए पूरे इंतजामात नहीं हैं ,लेकिन अन्य रोगों की मुत्ताल्लिक ही भारत सरकार ने जिसने सेहत के मामलों को हाशिये पर रख्खा है कौन से तीर चलाये हैं .बामुश्किल ३० लोग अब तक स्वां -इन फ्लू का ग्रास बने हैं ,अधिकृत -अनधिकृत तौर पर ।जबकि बेतहाशा शोर है ,मीडिया -हाइप है -स्वां इन फ्लू का .
लेकिन २००८ में १५ लाख मलेरिया औ ८ लाख तपेदिक के मरीज़ थे .इस साल हर रोज़ १०००लोग तपेदिक से मरे ,जबकि तपेदिक एक आम फहम रोग है .लेकिन उन लोगों का कोई क्या करे जो इलाज़ बीच में छोड़ खड़े होतें हैं ,औ एक मर्तबा फ़िर बीमारीकी दवा-प्रतिरोधी किस्म का शिकार हो जातें हैं ।
इतने बड़े मुल्क में कोई ५ करोड़ लोग किसी भी समय पर इस या उस संक्रमण की चपेट में देखे जातें हैं .लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों की तंगी है ,संचारी रोग संस्थान आप उँगलियों पर गिन लीजिये ।
हम तो समझते थे यहाँ सिर्फ़ मनो रोग विदों का टोटाहै ,लेकिन ये तंगी तो सर्व -व्यापी है .मनोरोग विद तो एक लाख आबादी के लियें एक से भी कम हैं ।
तंगियों कमी बेशी का देश है ये -सिर्फ़ वी .आई .पी .सुरक्षा में तंगी नहीं है .पुलिस से लेकर कचेहरी तक रिक्तियां ही रिक्तियां देख लीजिये।
सब के लिए सेहत ,नरेगा फरेगा एक फरेब से कम कुछ भी नहीं है ।सुनतें हैं एक ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन भी है ।
यहाँ पर छुतहारोगों यथा -इन्फ़्लुएन्ज़ ,एच .आई .वी .एड्स .,उदर-आंत्र-sहोथ यानि गेस्ट्रो -एन्तेरितिस ,गेस्ट्रो -इन्तेस्तिनल गडबडियां ,हैजा (कोलरा ),हीपे -taaee -तिस ,हुक -वार्म -इन्फेक्शन ,मलेरिया काला अज़र ,दिमागी मलेरिया ,दिमागी तंतु शोथ के अलावा सीविअर -एक्वायर्ड -रेस -पि -रेत्री -सिंड्रोम (एस .ऐ .आर .एस .),एवियन फ्लू ,स्वां इन फ्लू आते जाते रहतें हैं .नए से नए इन्फेक्शन लो ।स्वां इन फ्लू तो अभी रूकेगा .
एच १ एन १ तो पब्लिसिटी खींच गया ,काबू में है ,बेशक विश्वमारी (पेंदेमिक )घोषित है .लेकिन दूसरी सर्व -कालिक बीमारियों की किसे परवाह है ,कौन पूछता है -उलटी -दस्त से (गंदे पानी से पैदा पीलिया को )मरने वाले नौनिहालों को ।
जबकि छुतहा रोगों से बचा सकता है -ज़रूरत सही प्रशिक्षण ,एक भरे पूरे स्वास्थ्य कर्मी तंत्र की है .हेल्थ और हाई -जीन (सेहत औ सेहत से ताल्लुक रखने वाला विज्ञान )सचेत समाज बनाने की है .राजनितिक वारिस कब तक पैदा करते रहियेगा .
शुक्रवार, 21 अगस्त 2009
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