उन लोगों के लिए तपेदिक का ख़तरा और भी बढ़ जाता है ,जो एच आई वी -एड्स संक्रिमित होतें हैं .एच आई वी -एड्स संलक्षणों से ग्रस्त होने पर ठीक इसी तरह तपेदिक का ख़तरा और ज्यादा हो जाता है ।
अब ऐसी ही आशंका एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा _ऐ और एच आई वी एड्स दुरभि संधि को लेकर व्यक्त की गई है .पहले से ही एच आई वी -एड्स संक्रिमित व्यक्ति के लिए स्वां फ्लू का पेचीला पन तब और भी ज्यादा हो जाता है जब एंटी -रेट्रो -वायरल थिरेपी भी उसे नहीं मिल रही हो ।
अलबत्ता नेको (नेशनल एड्स कण ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन )अपने २१७ एंटी -रेट्रो -वायरल केन्द्रों को इस खतरे के प्रति आगाह कर चुका है ।
दुनिया भर में विश्व्स्वास्थय संगठन के मुताबिक कुल ३ करोड़ ३ लाख लोग एच आई वी -एड्स संक्रिमित हैं ,इनमे से सिर्फ़ ४० लाख को २००८ के अंत तक एंटी -रेट्रो -वायरल थिरेपी मुहैया करवाई जा सकी थी ।
२३ लाख अनुमानित मामलों में से सिर्फ़ २.४ लाख को ही भारत में यह चिकित्सा उपलब्ध है ।
महाराष्ट्र में एच आई वी -एड्स -स्वां -फ्लू सह संक्रमण से अब तक २ लोग मर चुके हैं ।
ऐसे ही लोगों के लिए स्वां -इन फ्लू और उससे पैदा पचीला पन का ख़तरा ज्यादा है ,क्योंकि उनका रोग प्रति -रोधी तंत्र पहले से ही कमज़ोर है ,इम्मुनो -डिफिसिएंसी -दिजीजिज़ से ग्रस्त तमाम लोगों के लिए दोनों संक्रमणों की दुभिसंधी बहुत खतर -नाक है ।
स्वां फ्लू अन्य संक्रमणों से ४ गुना ज्यादा तेज़ी से फ़ैल रहा है ,६ हफ्तों में इसने उतनी दूरी तय कर ली है जितनी अन्य संक्रमण ६ माह में करतें हैं ।
दुनिया भर में अब तक २१८० से ज्यादा लोग इस संक्रमण से (एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ )मर चुकें हैं .घनी आबादी वाले देशों में आइन्दा ३० फीसद तक लोग इसकी चपेट में आ सकतें हैं ।
दुर्भाग्य यह भी हैं -अच्छे खासे तंदरुस्त जवान लोगों को लील रहा है यह जो ५-६ दिन ज्वर ग्रस्त रहने के बाद ही स्वां फ्लू से चल बसें हैं ।
ख़तरा एच आई वी -एड्स और एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ के दुर्योग से तैयार एक नै आफत ,वाइरस के नए रूप विधान ,नै किस्म से है ।
सन्दर्भ सामिग्री :एच आई वी -एच १ एन १ को -इन्फेक्शन हेज़ गमेंट वरीद .-टाइम्स आफ इंडिया ,अगस्त ३१ ,२००९ ,पेज -१० ।
वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
नाक
सोमवार, 31 अगस्त 2009
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