भारत किसी न किसी बीमारी के मामले में बढ़त ही बनाए रहता है -पहले सर्विक्स केंसर और अब मौतार्माओं का उम्र से दस साल पहले सुपुर्दे ख़ाक हो जाना -धूम्रपान के हाथों .ख़त्म हो जायेंगे हम भी उनको ख़बर होने तक ।
तुबेको एटलस में भारतीय मौतार्मायें पहले बीस में तीसरा स्थान आलमी इस्तर पर बनाए हुए हैं .अलबत्ता पहले और दूसरे स्थान पर अमरीका और चीन काबिज़ हैं जहाँ भारत के एक करोड़ उन्नीस लाख के बरक्स २.३ और १.३ करोड़ महिलायें धूम्रपान की ज़द में हैं .दीगर हैं भारत में २० फीसद से कम ही औरतें बीडी -सिगरेट पीतीं हैं ।
अमेरिकन केंसर सोसायटी और विश्व फेफडा संघ ने यह टोबेको -एटलस प्रकाशित की है -बतलाया गया है ,गैर धूम्र -पानी के बरक्स धूम्रपान करने वाली महिलायें भारत में कुपोषण और गरीबी कमउम्र में ज्यादा बच्चे पैदा करने के चलते उम्र से ८साल पहले ही इस दुनिया से चल बसतीं हैं ।
आलमी स्तर पर तक़रीबन २५ करोड़ औरतें नियमित धूम्रपान करतीं हैं .इनका २२ फीसद अमीरऔर ९ फीसद अपेक्षा कृत गरीब मुल्कों से ताल्लुक रखता है ।
विज्ञापन का मायावी संसार औरतों को भरमा रहा है -आपको बतला देंबेजायका होती है सिगरेट -सेक्सी औ स्लिम नहीं बीमार बनाती है -आजाद ख़याल होना औ गर्भस्त को भी अपने शौक औ कमजोरी के चलते मुसीबत में डालना अकलमंदी नहीं है .प्रीमीज़ पैदा होतें हैं -धूम्र -पान करने वाली माताओं को -गर्भावस्था की पूरी अवधि ४० सप्ताह से४-५ हफ्ता या और भी पहले आ जातें है ये गर्भस्त इस दुनिया में -जन्म के समय इनका वजन भी कम पाया जाता है स्वस्थ और सामान्य बच्चे के मुकाबले .कितने बच्चे निर्जीव (स्टिल०) पैदा होतें हैं इसका जायजा लिया जानाबाकीहै ।
कोई ताज्जुब नहीं ,६० लाख इस शौक के हाथों मर जातें हैं ,इनमे से एक तिहाई केंसर ग्रस्त हो मारतें हैं ,आलमी स्तर पर अर्थ व्यवस्था को ५०० अरब डालर का चोना लगता है ।
२५ फीसद धूम्र पानी अपनी घर परिवार को विपन्न अवस्था में छोड़ जातें हैं ।
एक अनुमान के अनुसार २०१० में गरीब मुल्क ही ७२ फीसद काम करने वाले हाथों को खो गवां देंगे ,२०३० में यह आंकडा बढ़कर ८३ फीसद हो जाएगा .जन -शिक्षण ,जन जागरण रोक सकता है गरीबों की इस विश्व -महामारी को ,पेंदेमिक को .एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा तो नाहक ही बदनाम है -असली विश्व -मारी यह धूम्र पान ही है ,जो हमारे सौन्दरिय बोध को भी काटता है ,खूब सूरती के पर काटता है ,कोई माने तब ना .किस आशिक को अच्छे लगेंगे -स्मोकिंग स्टेन्स माशूक के ?कौन कहेगा -छू लेने दो नाज़ुक होठों को कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये ,कुदरत ने जो हमको बख्शा है ,वो सबसे हसीं इनाम हैं ये .?
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
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