एक बार फ़िर हम अपने ब्लॉग पर उन्ही अनुदेशों के साथ लौट रहें हैं जिन्हें भारत सरकार दोहरा रही है ।
(१)मामूली बुखार (सौ फारेन हाईट )गले में दर्द ,काफ नाक का बहना ,बदन दर्द ,उलटी दस्त की शिकायत होने पर न सिर्फ़ अपने निकट के डॉक्टर से जांच करवायें २ दिन बाद दोबारा अपनी सेहत का जायजा आकर लें ।
(२)आम तौर पर इस स्तिथि में जिसे सामान्य ही कहा जाएगा -डॉक्टर आपको अपने घर में ही रहकर आराम करने की सलाह देगा .आम -ज्वर नाशी ,दर्द नाशी ज़रूरी होने पर ही लें .तेमिफ्लू आप को नहीं दी जायेगी अलबत्ता ७दिनि अलहदगी बरतने की सलाह आप मानिये .एहतियात ज़रूरी जो दी गईं है उनका पालन करें .आप को अस्पताल जाने की ना तो ज़रूरत है औ न ही आप की जांच के लियें नमूने लिए जायेंगे .क्योंकि यह एक सामान्य स्तिथि है ।
दूसरी श्रेणी उन लोगों की है जिन्हें हाई -रिस्क ग्रुप में रखा गया है .यथा बच्चे ६५ साला बुजुर्ग पहले से ही मधुमेह ,हाई पर टेंशन ,रिस्पैरेत्री डिजीज केंसर आदि अन्य जीवन शैली रोगों के लिए दवाई ले रहे लोग .इन्हें उच्च ज्वर (१००-१०२ )बना रहने गले में दुखन जारी रहने आदि लक्षण होने पर तेमिफ्लू देकर घर भेज दिया जाएगा .ज़रूरी नहीं हैं इनके नाक गले से जांच के लिए सवाब का लिया जाना .इन्हें भी अस्पताल में दाखिल नहीं किया जाएगा ।
(३)सिर्फ़ तीसरी केटेगरी के उन लोगों को अस्पताल में दाखिल किया जाएगा -जिन्हें स्वां फ्लू के संग नामूनिया यानी फेफडों के संक्रमण की भी गंभीर शिकायत हो सकती है ,आगे चलकर .लक्षणों के आधार पर जिसका संदेह होने लगा है .लापरवाही बरतने पर इनके लक्षण उग्र हो सकतें हैं.नाखून नीले पड़ सकते हैं .काफ में खून का धब्बा आ सकता है ,बार बार .रक्त दाब गिर सकता है ,सीने में दर्द हो सकता है ,बेहद बेचेनी हो सकती है .ये तमाम लक्षण एक्यूट रेस्पाई -रेत्री डिस्ट्रेस के हैं ,जो एक खतरनाक स्तिथि होती है .बच्चों में इसकी शुरूआत अनमना पणkहानापीना छोड़ देने साँस में तकलीफ के संग हो सकती है .इन मरीजों के तीमार दारों को हलकी दावा दी जायेगी -प्रो फाई लेक्सिक्स पर रखा जाएगा .जब तक ज़रूरी समझा जाएगा सिर्फ़ तभी तक तेमिफ्लू की हलकी खुराख दी जायेगी .बशर्ते इनमें भी मेडिकल कन्डीशन वाले लोग है .इसलिए चिंता छोडिये -चिंता चिता समान .ओमशांति .आदाब .
नीले पड़ सकतें हैं
रविवार, 16 अगस्त 2009
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