पलकों की डोर से बंधे चले आइये ,बिना मस्कारा खासी लम्बाती बरोनी (आई -लेशिस )बनाइये ।
सौन्दरिय का रुपहला संसार बिना मस्कारा आधा अधूरा रह आता है ,खूबसूरती को चार चाँद लगाने ,युवतियां लम्बी आई -लेशिश का माया-संसार ,मस्कारा से ही रचतीं हैं ।
पेरिस के जैव -विज्ञानी आपको मस्कारा का विकल्पदेने की ताकमें हैं .जी हाँ आँख की बरोनियाँ ,पलकों के बाल भी तीन महीने बाद झरतें हैं ,बारहा इसीलियें बरोनी बनाई -संवारी जातीं हैं -मस्कारे से .अलबता सर के बाल तीन साल तक बढ़ने के बाद गिरतें हैं .विज्ञानी आई -लेशिश की जीवन अवधि एक जेल की मदद से तीन माह के पार ले जाना चाहतें हैं .बस थोडा इंतज़ार और .पैस की ओरील लेब इसी जेल को बाज़ार में उतारने वाली है .क्लीनिकल ट्रा-याल्स अग्रिम चरण में हैं .
सोमवार, 17 अगस्त 2009
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