लैब आज़माइशों से इस बात का इल्म हुआ है ,भांग औ चरस में मौजूद रसायन केंसर सेल्स की बढवार को रोक सकतें हैं .इससे यह भरोसा पैदा हुआ है ,केनाबिस से तैयार दवाएं एक दिन केंसर के ख़िलाफ़ जंग में कारगर भी साबित हो सकतीं हैं ।
आल -काला विश्व्विद्दयालय ,मेड्रिड के साइंस दानों ने आइनेज़दीआज़ - लैविआदादेखरेख में हूमेन केंसर सेल्स लाइंस पर काम करने के बाद ऐसे ही एक रसायन की आज़माइशे माउस पर करने के बाद टुऊमर(केंसर गाँठ ) की बढवार रोकने में कामयाबी हासिल की है ।
ब्रितानी जर्नल में इस मुताल्लिक नतीजे प्रकाशित हुए है .,चरस ,गांजा में एक सक्रीय रसायन केनाबिनोइड मौजूद है ,जो केंसर -गांठों को बढ़नेसे रोकता है ।
अलबत्ता इस अन्वेषण को आगे ले जाने के लियें अभी और आज़माइशों की दरकार है ,तब जाकर मानव -मात्र को इसका लाभ मिल सकता .यानि केंसर का इससे कारगर इलाज़ अभी और वक्त लेगा ।
अलबत्ता सुल्फा और चरस -गांजा आदि सिगरेट में भरकर सुट्टा लगाने वाले ,साव धान रहें .ऐसा करनेसे पौरूष-ग्रंथि के केंसर में कोई फायदा नहीं पहुंचेगा ।
स्पेन की एक शोध टोली ने पता लगाया है ,केनाबीनोइड्स केंसर गाँठ पर मौजूद एक रिसेप्टर (अणुओं के लिए खुले दरवाज़े )को बंद कर देतें हैं.ये अभिग्राही टुऊमर -सर्फेस (केंसर -अर्बुद या गाँठ की सतह पर मौजूद होतें हैं ।
ऐसे में अनियंत्रित केंसर कोशिका विभाजन ,कुनबा परस्ती रुक जाती है ।
केनाबिस में पाये जाने वाले रसायनों से केंसर सेल्स रिसेप्टर सीधे मुखातिब हो सकतें हैं ।
यही रसायन (केनाबीनोइड्स ) प्रोस्टेट केंसर -कोशिकाओं की अनियंत्री बढवार को अवरुद्ध कर दवा के लिए जो अभी खोजी जानी हैं ,एक लक्ष्य (टार्गेट ) का काम कर सकतें हैं .यानी तीर निशाने पर लग सकता है .
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