सोमवार, 10 अगस्त 2009
एच १ एन १ की उत्पर्वर्तित किस्म ज्यादा खतरनाक होगी .
थोड़ा धीरज रखिये ,जब तक आम फ्लू के लक्षणों के प्रगटहोने पर २४ -४८ घंटों तक शरीर १०० सेल्सिअस बुखार से ज्यादा की गिरिफ्त में ना आए ,घर पर आराम कीजिये ,ज्वर ना उतरे तो जांच कराइए .एच १ एन १ आया है तो अब सर्दियों तक तो रुकेगा ही ,ऐसी जल्दी भी क्या है ?बचावी चिकित्सा के बतौर अब दवा तेमिफ्लू खाली (अन्दर दा काउंटर सब मिल जाता है ,और अगर ओवर दा काउंटर ,टेमी फ्लू को रख दिया गया ,तो हाथों हाथ ख़त्म हो जायेगीं ६० लाख खुराखें ,जिनका ढिंढोरा गुलाम नबी साहिब पीट रहें हैं ,) तो तब क्या होगा जब वायरस रूपाकार ,संरचना बदल कर ,मूटेतिद फॉर्म में हाज़िर होगा .जाहिर है ,उत्परिवर्तित किस्म ज्यादा घातक और मारक होगी ,एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ ,की .इसलिए हौंसला रखिये .अलबता अगर आप प्रभावित क्षेत्र से आम फ्लू जैसे लक्षणों के संग लौटें हैं ,लगातार ज्वरग्रस्त हैं ,नाक बह रही है ,गले में दर्द है ,या दस्त -उलटी की शिकायत मौजूद है -तो ज़रूरी होने पर विवेकी डॉक्टर एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ की जांच से पहले आगे बढ़कर ७मिलिग्राम तेमिफ्लू तो दो बार दिन में फ़ौरन तस्दीक कर देगा ,फैसला उसे ही करने दीजिये .अपना इलाज़ ख़ुद मत करिए ,कहा भी गया है -नीमहकीम खतरे ही जान .सेल्फ मेडिकेशन वर्तमान ही नहीं आइन्दा के लियें भी खतरनाक हो सकता है .आप अपना सामाजिक दायित्व भी निभाइए -संदिग्द्ध अवस्था होने पर (जांच के अनंतर पब्लिक स्पेस में मत आइये ,घर में अलहदगी या फ़िर अस्पताल में बने रहिये ,दिशा -अनु -देशों के अनुरुपइतना तो हम सभी कर सकते ही हैं .बारहा हाथ धोते रहिये ,कमरा फुमिगेत (विसंक्रिमित )करते रहिये ,मास्क लगाकर रखिये तीन परतों वाला ,चार घंटों के बाद बदल -ते रहिये ,नम होने पर सावधानी पूर्वक फेंक दीजिये ,बच्चों -बुजुर्गों से दूर रहिये ,बचाव में ही बचाव है .
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