क्यों बन गया पुणे फोकल -पॉइंट ,स्वां-इन फ्लू की मारक लीलाओं का केन्द्र बिन्दु ?स्वां-इन फ्लू से मौत के मुह में जा चुके ६२ -६५ फीसद लोग पुणे के ही रहें हैं .यह तांडव अभी रुकने का नाम भी नहीं ले रहा है .क्या अब यहाँ क्लस्टर यानी व्यक्ति समूह ,समुदाय के समुदाय इसकी चपेट में आने लगें हैं ?या धीरे धीरे यहाँ भी यह शांतिपूर्ण सह -अस्तित्व कायम कर लेगा दिल्ली की तरह ?जहाँ १० फीसद मामले चौकस शिनाख्त (स्क्रीनिंग )की वजह से ,२० फीसद कांटेक्ट ट्रेसिंग (यानि असरग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आए लोगो का पता लगाने )की वजह से पकड में समय रहते आ गए जबकि ७० फीसद मामलों में जागरूक लोग ख़ुद आगे बढ़कर संदिग्ध अवस्था होनेपर जांच के लिएख़ुद आगे आए .दिल्ली को इस बिना पर शाबाशी दी जा सकती है ।
पुणे के मामले में पहला मामला प्रकाश में आने से पहले ही प्रशासनिक बेदिली के चलते आग फ़ैल चुकी थी .कुछ मियाँ बावले कुछ ऊपर से खाली भंग .रही सही कसर बरसात के फ्लू के munaasib मौसम ने पूरी कर दी .राज -ठाक -ron को अब अपना घर संभालना thaa ..कहाँ हैं सामाजिक mudde उनकी praathmiktaaon में .kauri lafandri से क्या hogaa ?
sanchaari rog sansthaan पुणे (institute of communicable disease ,पुणे )के vijyaani maanten हैं -बहुत देर kardi huzoor आते -आते .क्या barkhaa जब krishi sukhaane .june २२,२००९ को पुणे में pahla मामला prakash में aayaa एच १ एन १ paazitiv .यह vykti U .S .से lautaa thaa .bhartiy chikitsaa anusandhaan परिषद् के doktar V .M . .katoch saaf lavzon में kahten हैं -पुणे ने stithi की gambheertaa को नहीं samjhaa .natizaa हम sabke सामने है .
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
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